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This Article is From May 17, 2022

मध्यप्रदेश : गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध से कारोबारियों के 5,000 ट्रक बंदरगाहों पर अटके 

संगठन ने घोषणा की है कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की सभी 270 कृषि उपज मंडियों में मंगलवार और बुधवार को कारोबार नहीं होगा.

मध्यप्रदेश : गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध से कारोबारियों के 5,000 ट्रक बंदरगाहों पर अटके 
मुंबई और कांडला के बंदरगाहों पर तकरीबन 5,000 ट्रक खड़े हैं 
इंदौर:

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के एक कारोबारी संगठन ने गेहूं के निर्यात (Wheat Export) पर प्रतिबंध (Ban) लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि अचानक उठाए गए इस कदम से प्रदेश के कारोबारियों के करीब 5,000 ट्रक देश के दो बड़े बंदरगाहों पर अटक गए हैं.  संगठन के मुताबिक, इन ट्रकों के जरिये गेहूं की बड़ी खेप निर्यात के लिए बंदरगाहों तक पहुंचाई गई थी. संगठन ने घोषणा की है कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की सभी 270 कृषि उपज मंडियों में मंगलवार और बुधवार को कारोबार नहीं होगा.

मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने  से कहा,‘‘केंद्र सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर अचानक प्रतिबंध लगाए जाने से राज्य के व्यापारियों द्वारा भेजे गए करीब 5,000 ट्रक कांडला और मुंबई के बंदरगाहों पर खड़े हैं और उनमें लदी गेहूं की बड़ी खेप का निर्यात नहीं हो पा रहा है. ''

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बार गेहूं निर्यात के लिए व्यापारियों को खूब प्रोत्साहित किया था जिसके बाद उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंची कीमतों पर किसानों से जमकर गेहूं खरीदा था, लेकिन अब केंद्र के प्रतिबंध के कारण उनके निर्यात सौदे अटक गए हैं.  अग्रवाल ने कहा,‘‘गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की सभी 270 कृषि उपज मंडियों में कारोबारी मंगलवार और बुधवार को न तो माल खरीदेंगे, न ही बेचेंगे. ''

उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को कारोबारियों और किसानों दोनों के हित में प्रतिबंध को वापस लेते हुए गेहूं निर्यात को बहाल करना चाहिए.  गौरतलब है कि भीषण गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने इस प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है.  केंद्र ने कहा है कि पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के अलावा इस फैसले से गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. 



 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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