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कल तक काम पर लौटें डॉक्टर, गैर हाजिर रहे तो होगा एक्शन : कोलकाता रेप-मर्डर पर सुनवाई के दौरान SC

RG Kar Medical College Case: कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सोशल मीडिया से शव की सारी तस्वीरें तुरंत हटाई जाएं. कोर्ट ने सीबीआई को शव मिलने से लेकर पॉस्टमार्टम तक की कड़ियों को जोड़ने के लिए गहराई से जांच करने के आदेश दिये.

CJI ने घटना को 'भयावह' करार दिया...

नई दिल्‍ली:

Kolkata Rape Murder Case कोलकाता रेप-मर्डर मामले की सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान, महिला डॉक्टर का शव मिलने से लेकर FIR दर्ज करने तक पश्चिम बंगाल सरकार से कई सवाल पूछे गए. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि घटना के 14 घंटे बाद क्यों FIR दर्ज हुई? कोर्ट ने सीबीआई को शव मिलने से लेकर पॉस्टमार्टम तक की कड़ियों को जोड़ने के लिए गहराई से जांच करने के आदेश दिये. CCTV फुटेज की गहन जांच करने को भी कहा. इस बीच CBI ने सबूतों में गड़बड़ के संकेत भी दिए और कहा कि फोरेंसिक सेंपल किसने लिए, ये प्रासंगिक है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर तक मामले की ताजा स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार से अस्पताल में सुरक्षा को लेकर जमीनी तैयारियों का ब्यौरा मांगा. साथ ही हड़ताली डॉक्टरों को मंगलवार शाम पांच बजे तक वापस लौटने को कहा. मामले की अगली सुनवाई अब 17 सितंबर को होगी. 

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Kolkata Rape Murder Case LIVE Updates... 

  • CJI ने सुनवाई के दौरान हड़ताली डॉक्‍टरों को भी सख्‍त हिदायत दी. उन्‍होंने कहा, 'कोलकाता में जो डॉक्टर हड़ताल पर है वो तुरंत काम पर लौटें. अगर वो काम नहीं आते है तो उनके खिलाफ सरकार को कार्रवाई से नहीं रोक सकते. डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि डॉक्टरों को धमकाया जा रहा है. हमें सुविधाएं प्रदान की जाए. हमें CCTV, बाथरूम के सुविधा, 36 घंटे काम करने के बाद एक कमरे में आराम की सुविधा और सीआईएसएफ की सुरक्षा चाहिए.

  • कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि राज्य में हर जगह प्रदर्शन हो रहा है. 41 पुलिस वाले घायल हो गए है. बिना पुलिस के इजाजत के प्रदर्शन हो रहे है. गीता लूथरा ने कहा कि सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर हैं. मेडिकल छात्र और जूनियर डॉक्टर ही हड़ताल पर हैं, क्योंकि उनकी जान को खतरा है. सीजेआई ने कहा कि हमने कहा है कि डॉक्टर अपने काम पर लौट जाएं उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी. हम उनके लिए उपाय कर रहे हैं. वो नहीं लौटे, तो हम राज्य सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने से किस आधार पर रोक सकेंगे? डॉक्टर्स की वकील गीता लूथरा ने कहा कि जूनियर डॉक्टर अस्पताल कॉलेज के अंदर सुरक्षित वातावरण न होने की वजह से इमारत के अंदर ड्यूटी नहीं करना चाहते. वो बाहर कैंप लगाकर अपनी ड्यूटी करने को तैयार हैं. अंदर उनके शौचालय, रेस्ट रूम और सुरक्षा की अन्य सुविधाएं नहीं हैं.

  • सुप्रीम कोर्ट- डॉक्टरों की सुरक्षा को सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर संबोधित किया जाना चाहिए. मंगलवार शाम 5 बजे तक सरकार डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना करें. पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों के मन में यह भरोसा पैदा करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि उनकी सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का उचित तरीके से समाधान किया जाएगा. पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाई जाएं. कल शाम पांच बजे तक डॉक्टर काम पर लौटें. अगर नहीं लौटते हैं, तो किसी दूसरे पर आरोप ना लगाएं. इस बीच CJI ने एक वकील को चेताया कि अपनी पिच मत बढ़ाएं, चीफ जस्टिस की बात सुनिए. इस पर सीजेआई ने कहा, 'हमने दो दिन का समय दिया है. युवा डॉक्टरों को अब वापस लौटना चाहिए और काम पर लौटना चाहिए. हम जानते हैं कि ज़मीन पर क्या हो रहा है. पहले काम पर लौटें. ज़िला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और आपको अब काम पर लौटना होगा और अगर आप काम पर नहीं आते हैं, तो आपके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए किसी को ज़िम्मेदार न ठहराएं. आप यह नहीं कह सकते कि वरिष्ठ लोग काम कर रहे हैं, इसलिए हम नहीं करेंगे.

  • सीजेआई ने कहा, 'अगर वहां 4447 सीसीटीवी कैमरे लगे होते, तो यह घटना क्यों होती? हमें आरजी कर मेडकिल कालेज बताएं कि कौन से उपकरण लगाए गए हैं? सिर्फ फंड ही नहीं, क्या प्रगति हुई? हमारे पहली बार सुनवाई के बाद जमीन पर क्या बदलाव आया. कपिल सिब्बल ने कहा, 'डॉक्टरों के काम ना करने की वजह से 23 लोगों की मौक हुई. 6 लाख लोगों इलाज से इनकार किया गया. राज्य में हर जगह प्रदर्शन हो रहा है. 41 पुलिस वाले घायल हो गए है. बिना पुलिस के इजाजत के प्रदर्शन हो रहे है.'
  • एफआइआर को रजिस्टर करने में देर. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को माना की एफआइआर को रजिस्टर करने में देर हुई. CJI ने कहा कि कम से कम 14 घंटे की देरी हुई है. SG ने कहा, 'हमें मौत के समय के बारे में स्पष्टता नहीं है. मौत को एक महीना हो गया है.' CJI ने कहा, 'स्पष्टता है (1) मौत कब हुई; (2) मौत के आसपास का समय और मौत से पहले उसने खाना खाया था. एफआईआर दर्ज करने में 14 घंटे की देरी हुई.
  • एक याचिकाकर्ता की तरफ से गीता लूथरा ने कहा कि वारदात की जगह से छेड़छाड़ की गई. गीता ने तीन फोटोग्राफ  सील कर में अदालत को दिए. CJI ने कहा इमरजेंसी वार्ड में सीआईएसएफ बिना सुरक्षा जांच के किसी को न जाने दिया जाए. SG ने कहा, 'घटना स्थल के पास बाथरूम के टायल्स और बेसिन को बदला गया. CJI ने कहा, 'सोशल मीडिया से शव की सारी तस्वीरें तुरंत हटाई जाएं.
  • सीबीआई के वकील तुषार मेहता ने कहा- जो सीसीटीवी हमें दिए गए है, उनमें आरोपी अंदर जाता हुआ दिखा रहा है. इस पर CJI ने कहा, 'लेकिन सवाल तो ये भी है, क्या आरोपी के बाद भी कोई सेमिनार रूम में गया? केस में विसंगतियां हैं, सीबीआई जांच जारी रहने दीजिए. इस पर सीबीआई ने कहा, 'पहले 5 घंटे महत्वपूर्ण थे. अपराध स्थल की घेराबंदी कर देनी चाहिए थी. लेकिन वहां लोगों को आने-जाने की अनुमति थी. हम 5 दिन बाद घटनास्थल पर आए. सीजेआई ने कहा, 'इसीलिए हम पूछ रहे थे कि क्या सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा गया था? उसे पूरी तरह सीबीआई को सौंप दिया गया था, क्या आरोपी के बाहर जाने के बाद कोई और भी सेमीनार रूम में गया था?
     
  • कोर्ट ने पूछा कहां है बॉडी चालान...? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सीबीआई से पूछा, 'क्या आपके पास चालान है, जब बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाते है? CBI ने  कहा- नहीं. CJI ने कहा- फिर वो चालान कहा हैं? उस चालान के बिना तो पोस्टमार्टम हो ही नहीं सकता. पश्चिम बंगाल के वकील सिब्बल ने कहा कि उनके पास भी अभी नहीं है. वो पता लगा कर अदालत को सूचित करेंगे? कृपया हमें समय दें. हम इसे अदालत में पेश करेंगे. मुझे जो बताया गया है, वह यह है कि सीजेएम ने इसे खुद भरकर भेजा है. इस पर सीजेआई ने पूछा, 'क्या पोस्टमार्टम अनुरोध फॉर्म के बिना किया गया था?' इस बीच SG ने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता... यह एक वैधानिक आवश्यकता है. जस्टिस पारदीवाला ने कहा, 'पीएम रिपोर्ट में तीसरे कॉलम में फॉर्म ले जाने वाले कांस्टेबल का नाम है. चालान का कोई उल्लेख नहीं है. अगर यह दस्तावेज गायब है, तो कुछ गड़बड़ है.
     
  • तुषार मेहता- कपिल सिब्बल ने जो स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की, वो हमें नहीं मिली. SG तुषार मेहता- पश्चिम बंगाल सरकार सीबीआई से क्या छिपाना चाहती है? हमे पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से दाखिल जवाब की कॉपी नहीं मिली है. कपिल सिब्बल- हमने जवाब की कॉपी सिर्फ कोर्ट में जमा की है, हमने सीबीआई को अभी तक कॉपी नहीं दी है.

CJI - पूर्व प्रिंसिपल के घर और कालेज में कितनी दूरी है? 

SG तुषार मेहता- 15 से 20 मिनट

CJI ने सिब्बल से पूछा- हमें दो पहलुओं पर स्पष्टीकरण चाहिए. हमें अप्राकृतिक मौत के मामले में स्पष्टीकरण चाहिए.

सिब्बल- डेथ सर्टिफिकेट 1.47 PM पर बना. इसके बाद थाने में अप्राकृतिक मौत मामले में 2.55 PM पर डायरी दर्ज की गई.

SG तुषार मेहता- वो हम सभी की बेटी थी...

कपिल सिब्बल- 4.10 पर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आए. इंक्वेस्ट रिपोर्ट 4.40 तक तैयार की गई. सारी जांच की वीजियोग्राफी हुई. 

CJI- ये बताने के लिए सीसीटीवी फुटेज है कि आरोपी कितने बजे सेमीनार रूम में गया और बाहर निकला. सर्च और सीजर कब हुआ. 

कपिल सिब्बल- 8.30 शाम को. जब बॉडी पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, तब से प्रक्रिया शुरू हुई. उससे पहले वहां कि फोटोग्राफी का काम पूरा हो गया था. सीसीटीवी फुटेज, सब कुछ सीबीआई को दे दिया गया है? 

SG तुषार मेहता- हां, हमें मिला है.

CJI डीवाई चंद्रचूड़-  क्या कलकत्ता पुलिस ने 8:30 से 10:45 तक की पूरी फुटेज सीबीआई को सौंप दी है?

SG तुषार मेहता- कुल 4 क्लिपिंग, 27 मिनट की अवधि की मिली है. एक गंभीर विषय अदालत के संज्ञान में लाना है. फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता, अर्धनग्न हालत में थी और शरीर पर चोट के निशान थे. ये बेहद गंभीर मामला है, उसके बाद सीबीआई ने सैंपल एम्स में भेजा है. ऐसे में सैंपल किसने लिए, ये जानना जरूरी हो जाता है. 

CJI डीवाई चंद्रचूड़- हम इस मामले में खुली अदालत में कुछ नहीं कहना चाहते, क्योंकि जांच अभी चल रही है. सीबीआई अगले सोमवार तक अगली जांच रिपोर्ट जमा करे. सीबीआई ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है, जांच प्रगति पर है. सीबीआई अगले सुनवाई से पहले ताजा स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करें. देखते हैं, अब से लेकर तब तक क्या होता है. हम यह नहीं पूछ रहे हैं कि उन्हें जांच का कौन-सा तरीका अपनाना है. 

SG तुषार मेहता- CISF की महिला बटालियन की टुकड़ी  वहां गई हैं. वहां उसे रहने के लिए राज्य की तरफ से सुविधा पूरी तरह से नहीं दी गई है. 

पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल- हमने पूरी सुविधा सीआईएसएफ को प्रदान की है. सिब्बल ने तफसील बताई कि किन स्कूलों और सरकारी फ्लैट्स में जवानों और अधिकारियों को रखा गया है.
  
CJI ने SG से पूछा-  आप हमें बताएं कि क्या सुविधा उपलब्ध नहीं की गई है. इसके बाद एसजी ने अपनी एक हस्तक्षेप याचिक के बारे में भी कोर्ट के बारे में बताया

SG तुषार मेहता- तुषार मेहता ने कहा कि हैंड मेटल डिटेक्टर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर जैसे कई उपकरण सीआईएसएफ को चाहिए. कुछ सिक्योरिटी गैजेट दिए गए है कुछ नहीं. अगर कोई घटना हो जाती है, तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

CJI डीवाई चंद्रचूड़- कुल सीआईएसएफ की तीन कंपनियों को सुरक्षा के लिए भेजा गया हैं. राज्य सरकार का कहना है कि उनके रहने की सुविधा प्रदान की गई है. पश्चिम बंगाल सरकार को सिक्योरिटी और सुरक्षा के सभी गैजेट आज शाम 9 बजे तक सीआईएसएफ को मिल जानी चाहिए. सीआईएसएफ के जवानों को बसों की सुविधा शाम 5 बजे तक पश्चिमी बंगाल सरकार की ओर से मिल जानी चाहिए. 

इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने पुलिस की शुरुआती जांच पर सवाल उठाया. याचिका में कहा गया कि देश में कभी भी रात मैं पोस्टमार्टम नहीं होता. इतना ही नहीं एफआईआर दर्ज करने से पहले सीजर एंड सर्च का काम नहीं होता, लेकिन इस मामले में ऐसा हुआ है.

सिब्बल : महिला डॉक्टर पोस्टमार्टम के समय वहां मौजूद थी.

SG तुषार मेहता- वेजाइनल स्वैब को 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर संरक्षित नहीं किया गया है. इसके कारण वो खराब हो गया होगा. ये सब पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को करना था. इस पर सीजेआई ने याचिकाकर्ता के वकील को कहा, 'जो आपने मुद्दे उठाए है उन सवालों की जांच CBI कर रही है.

सीबीआई के वकील तुषार मेहता ने कहा- जो सीसीटीवी हमें दिए गए है, उनमें आरोपी अंदर जाता हुआ दिखा रहा है. इस पर CJI ने कहा, 'लेकिन सवाल तो ये भी है, क्या आरोपी के बाद भी कोई सेमिनार रूम में गया? केस में विसंगतियां हैं, सीबीआई जांच जारी रहने दीजिए. इस पर सीबीआई ने कहा, 'पहले 5 घंटे महत्वपूर्ण थे. अपराध स्थल की घेराबंदी कर देनी चाहिए थी. लेकिन वहां लोगों को आने-जाने की अनुमति थी. हम 5 दिन बाद घटनास्थल पर आए. सीजेआई ने कहा, 'इसीलिए हम पूछ रहे थे कि क्या सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा गया था? उसे पूरी तरह सीबीआई को सौंप दिया गया था, क्या आरोपी के बाहर जाने के बाद कोई और भी सेमीनार रूम में गया था?

एक आरोपी को अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार

कोलकाता रेप मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा, 'एक मामले में पहले से हिरासत में लिए गया आरोपी, दूसरे मामले के संबंध में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है. एक मामले में हिरासत में लिए जाने से दूसरे मामले में गिरफ्तारी की आशंका खत्म नहीं होती.' जस्टिस जेबी पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'एक आरोपी को अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार है, जब तक कि उसे उस अपराध के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जाता है. यदि उसे गिरफ्तार किया जाता है, तो एकमात्र उपाय नियमित जमानत के लिए आवेदन करना है. यह गुरबख्श सिंह फैसले से स्पष्ट है. ऐसा कोई स्पष्ट या निहित प्रतिबंध नहीं है, जो सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट को किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने से रोकता हो. यदि वह किसी अन्य अपराध के संबंध में हिरासत में है. यह विधायिका की मंशा के विरुद्ध होगा. किसी अन्य अपराध के संबंध में अभियुक्त को दिए गए सभी अधिकार उस पिछले अपराध से स्वतंत्र हैं, जिसके तहत वह हिरासत में है. यदि किसी अन्य अपराध में अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया जाता है, भले ही वह हिरासत में हो, तो पुलिस उसे उस बाद के कार्यालय में गिरफ्तार नहीं कर सकती. वरिष्ठ लकील सिद्धार्थ दवे का यह कहना सही है कि ऐसे मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में जीने, स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की कसौटी को पूरा करना. एक मामले में हिरासत दूसरे मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगने के अधिकार को नहीं... जमानत पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई होगी.

कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में पिछले काफी समय से लोग न्‍याय की मांग करते हुए सड़कों पर हैं. ऐसे में अदालत ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. इस बीच राजभवन सूत्र के मुताबिक, बंगाल के राज्यपाल ने राज्य सरकार से आरजी कर अस्पताल के मुद्दे पर कोलकाता पुलिस आयुक्त को हटाने की लोगों की मांग पर गौर करने को कहा है. घटना के विरोध में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र, मिट्टी के सामान बनाने वाले, रिक्शा चालक और जूनियर डॉक्‍टरों समेत विभिन्न क्षेत्रों के लोग रविवार को अलग-अलग तरीके से शहर की सड़कों पर उतरे और इस दौरान न्याय की मांग करने वाले नारे गूंजे. महिला जूनियर डॉक्‍टर का शव नौ अगस्त को अस्पताल में मिला था.

SC ने पिछली सुनवाई में दिये थे ये निर्देश

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा वाली पीठ, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अनुपलब्धता के कारण पांच सितंबर को सुनवाई नहीं कर सकी थी. 22 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने के अलावा 14 अगस्त की रात अस्पताल परिसर में हुई तोड़फोड़ के संबंध में सीबीआई और कोलकाता पुलिस द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में लेने को कहा था. इसके अलावा, इसने सरकार द्वारा उसके निर्देश पर गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) से कहा कि वह डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कामकाजी परिस्थितियों और कल्याण से संबंधित प्रभावी सिफारिशें तैयार करते समय विभिन्न चिकित्सा संघों की बात भी सुनें.

CJI ने घटना को 'भयावह' करार दिया...

20 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने इस घटना को 'भयावह' करार दिया, जो 'देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा का प्रणालीगत मुद्दा' उठाती है. इसमें कहा गया है, 'हम इस तथ्य से बहुत चिंतित हैं कि देश भर में, विशेषकर सार्वजनिक अस्पतालों में, युवा डॉक्टरों के लिए काम करने की सुरक्षित परिस्थितियों का अभाव है.' संबंधित मामले में, शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. इसमें उनके कार्यकाल के दौरान सरकारी संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच को चुनौती दी गई थी. सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि एक आरोपी के तौर पर घोष को जनहित याचिका की कार्यवाही में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है, जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है और उसने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है.

प्रदर्शनकारी मशालें, राष्ट्रीय ध्वज लेकर सड़कों पर उतरे

कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल के कई शहरों एवं कस्बों में आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के संबंध में रविवार रात न्याय की मांग करने वाले नारे गूंजे. आरजी कर अस्पताल में एक महिला जूनियर डॉक्‍टर से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के विरोध में महिलाओं एवं पुरुषों, युवाओं और वृद्धों समेत प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे, उन्होंने मानव श्रृंखला बनाई, सड़कों पर भित्तिचित्र बनाए, जलती हुई मशालें लेकर राष्ट्रगान गाया. कई लोगों ने तिरंगा लहराया. नागरिक समाज ने राज्य भर में गैर-राजनीतिक रैलियों में विरोध दर्ज कराने के लिए केवल तिरंगा फहराने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में सुनवाई है और पश्चिम बंगाल में ‘रीक्लेम द नाइट' के तीसरे आयोजन में भाग लेने वाले कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि शीर्ष अदालत न्याय करेगी.
(भाषा इनपुट के साथ)

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