![Keshkal Election Results 2023: जानें, केशकाल (छत्तीसगढ़) विधानसभा क्षेत्र को Keshkal Election Results 2023: जानें, केशकाल (छत्तीसगढ़) विधानसभा क्षेत्र को](https://c.ndtvimg.com/2023-10/vi3a8dmo_voting-15_625x300_26_October_23.jpg?downsize=773:435)
आज से 22 साल पहले मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य के दक्षिण क्षेत्र में मौजूद है कोंडागांव जिला, जहां बसा है केशकाल विधानसभा क्षेत्र, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 185799 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार संत राम नेताम को 73470 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार हरिशंकर नेताम को 56498 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 16972 वोटों से चुनाव हार गए थे.
इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में केशकाल विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संत राम नेताम ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 53867 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सेवकराम नेताम को 45178 वोट मिल पाए थे, और वह 8689 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में केशकाल विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार सेवकराम नेताम को कुल 46006 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी धन्नू मरकाम दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 37392 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 8614 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव 2018, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे. इन्हीं नतीजों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में BJP महज़ 15 सीटें अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली, इसे समझने के लिए वर्ष 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी. उस समय BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम रहा था. अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.
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