
- मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार आज नई दिल्ली में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं.
- विपक्षी दल बिहार में SIR अभियान को लेकर चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगा रहे हैं.
- राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया था और कर्नाटक के महादेवपुरा का उदाहरण दिया था.
देश भर में आज सभी की निगाहें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर टिकी होंगी. इस साल फरवरी में अपने पूर्ववर्ती राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग का कार्यभार संभाला था और आज वह अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे. नई दिल्ली स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी है. हालांकि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हो रही है जब चुनाव आयोग विपक्ष की कड़ी आलोचनाओं के घेरे में है. माना जा रहा है कि विपक्ष के 'वोट चोरी' के दावों सहित कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं.
बिहार में चल रहा विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) अभियान राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है. इसे लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेराफेरी करने के लिए भाजपा के साथ 'सांठगांठ' करने का आरोप लगाया है. यह एक ऐसा आरोप जिसका आयोग ने अपने आधिकारिक सूत्रों, सोशल मीडिया अकाउंट्स और फैक्ट-चैक के जरिए दृढ़ता से खंडन किया है.
राहुल गांधी ने लगाए थे 'वोट चोरी' के आरोप
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सात अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' के आरोप लगाए थे. राहुल गांधी ने इस दौरान मतदाता सूची में हेराफेरी के "सबूत" पेश किए थे, जिसमें उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में कथित अनियमितताओं का हवाला दिया था और 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से इसकी तुलना की थी.
यह विपक्ष की रणनीति में एक उल्लेखनीय बदलाव का संकेत है. विपक्ष सालों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर केंद्रित अपने रुख से हटकर अब वह सीधे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को चुनौती देने लगा है. बिहार SIR अभियान, मतदाता सूची से आधार को जोड़ने में पारदर्शिता की मांगों के साथ ही चुनाव आयोग के खिलाफ लामबंदी का नया मुद्दा बन गया है.
ज्ञानेश कुमार के लिए है बड़ी चुनौती
ज्ञानेश कुमार के लिए यह बड़ी चुनौती है. आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी टिप्पणी न केवल उनके नेतृत्व की दिशा तय करने का पहला अवसर होगी, बल्कि ऐसे समय में चुनाव आयोग के बारे में जनता की धारणा को भी आकार दे सकती है जब उसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में है.
बिहार एसआईआर अभियान से लेकर आधार को शामिल करने और 2024 के लोकसभा चुनावों से लेकर पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों तक मीडिया कई तरह के सवाल कर सकता है.
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