केरल के प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर हमला और उनका हाथ काटने के मामले में बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) की अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 6 सदस्यों को दोषी ठहराया है. इस मामले में 5 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया. 13 साल पुराने इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर आतंकवाद का आरोप साबित हुआ है.
साल 2010 में प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर ईशनिंदा के आरोप में हमला किया गया था. टीजे जोसेफ पर थोडुपुझा न्यूमैन कॉलेज में आयोजित परीक्षा के सवाल में कथित तौर पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया था. इसके बाद 4 जुलाई 2010 को एर्नाकुलम में आरोपियों ने चर्च से लौटते समय उनपर हमला कर दिया. हमलावरों ने उनका हाथ काट दिया था.
प्रोफेसर टीजे जोसेफ न्यूमैन कॉलेज, थोडुपुझा के मलयालम विभाग के पूर्व प्रमुख थे. वह हमले के वक्त अपने परिवार के साथ संडे प्रेयर मीट से लौट रहे थे. तभी हथियारबंद लोगों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया और उनका हाथ काट दिया.
इस मामले की जांच में सामने आया था कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के सदस्य थे. इस केस में उस समय 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था. कोच्चि के एनआईए कोर्ट ने 30 अप्रैल 2015 को इनमें से 13 लोगों को दोषी पाया था, जबकि 18 लोगों को बरी कर दिया था. इस केस का ट्रायल 2013 में शुरू हुआ था.
अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रोफेसर जोसेफ ने कहा कि मुझे इस बात की अधिक चिंता है कि जिन लोगों ने अपराध किया, वे गलत विचारधारा के शिकार हैं. जोसेफ ने कहा, "मैं इस सिद्धांत पर विश्वास नहीं करता कि आरोपियों के दोषी पाए जाने पर पीड़ित को न्याय मिल गया है. जिन लोगों का नाम लिया गया है, उनका इस्तेमाल केवल हथियार के तौर पर किया गया है. जिन लोगों ने यह योजना बनाई थी वे अभी भी छिपे हुए हैं."
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