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This Article is From Feb 02, 2023

"28 महीने और लंबी लड़ाई के बाद..": UP की जेल से छूटे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन

हाथरस में हुई घटना पर नकारात्मक कवरेज से बचने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रेरित कप्पन की गिरफ्तारी की विपक्ष और नागरिक समाज समूहों ने निंदा की थी.

"28 महीने और लंबी लड़ाई के बाद..": UP की जेल से छूटे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन
सिद्दीक कप्पन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था.
लखनऊ:

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत के लिए अदालत में श्योरिटी देने के एक दिन बाद गुरुवार को जेल से रिहा कर दिया गया. कप्पन और तीन अन्य को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां एक दलित महिला की कथित रूप से बलात्कार के बाद मौत हो गई थी.

जेल से रिहा होने के बाद सिद्दीकी कप्पन ने एनडीटीवी से कहा कहा, "मैं कठोर कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा. 28 महीने लंबी लड़ाई के बाद, जमानत मिलने के बाद भी उन्होंने मुझे जेल में रखा. मुझे नहीं पता कि मेरे जेल में रहने से किसे फायदा हो रहा था. ये दो साल बहुत कठिन थे. लेकिन मैं कभी डरा नहीं था."

कप्पन के मंगलवार शाम को बाहर आने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जा सका. क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत के जज बार काउंसिल के चुनाव में व्यस्त थे.

उन्हें अक्टूबर 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 वर्षीय दलित लड़की का कथित सामूहिक बलात्कार और मौत की रिपोर्ट करने के लिए जाते समय गिरफ्तार किया गया था, जिसने देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. पुलिस का कहना था कि वह अशांति पैदा करने के लिए मौके पर जा रहा था.

कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के एक पखवाड़े के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में महिला की मौत हो गई थी. जिला प्रशासन द्वारा उनके गांव में आधी रात उसका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें योगी आदित्यनाथ सरकार की निंदा हुई थी.

कप्पन पर देशद्रोह और कठिन आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए थे. फरवरी 2022 में, प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ प्रतिबंधित पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया से पैसे लेने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.

पिछले साल सितंबर में, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें यह देखते हुए जमानत दे दी कि उनके खिलाफ कोई औपचारिक आरोप दायर नहीं किया गया था. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें तीन महीने बाद जमानत मिल गई थी, लेकिन कई नौकरशाही चूकों के कारण उनकी रिहाई रोक दी गई थी.

हाथरस में हुई घटना पर नकारात्मक कवरेज से बचने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रेरित कप्पन की गिरफ्तारी की विपक्ष और नागरिक समाज समूहों ने निंदा की थी और कहा था कि यह भाजपा सरकार द्वारा मीडिया को दबाने की कोशिश का मामला है.

पुलिस ने दावा किया है कि पत्रकार और उसके साथ गिरफ्तार अन्य लोग प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य हैं. कप्पन ने आतंकी गतिविधियों या वित्तपोषण में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह पत्रकारिता के काम से हाथरस जा रहे थे.

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