बालिकाओं के गर्भवती होने के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि तमाम अश्लील सामग्री आजकल ऑनलाइन (Online) उपलब्ध हैं. और इस वजह से युवाओं को गलत चीजें मिलती रहती हैं, इसलिए उन्हें इंटरनेट (Internet) के सुरक्षित उपयोग के बारे में बताना जरूरी है. अदालत ने कहा कि समय आ गया है कि “हमारे स्कूलों में दी जा रही यौन शिक्षा पर दोबारा विचार किये जाए.” न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 13 वर्षीय लड़की के गर्भपात की अनुमति देते हुए यह बातें कहीं. इस मामले में लड़की को उसके नाबालिग भाई ने गर्भवती कर दिया था.
न्यायमूर्ति अरुण ने कहा, “इस मामले पर फैसला सुनाने से पहले, मैं बालिकाओं के गर्भवती होने के मामलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त करना चाहता हूं जिनमें कुछ मामलों में नजदीकी रिश्तेदार शामिल होते हैं. मेरे विचार से अब समय आ गया है कि हमारे स्कूलों में दी जा रही यौन शिक्षा पर दोबारा विचार किया जाए.”
उन्होंने कहा, ‘‘इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध अश्लील सामग्री के कारण युवाओं के दिमाग पर गलत असर पड़ सकता है. हमारे बच्चों को इंटरनेट और सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग के बारे में बताना बेहद जरूरी है.”
इधर एक महत्वपूर्ण आदेश के तहत केरल में अगले शैक्षणिक वर्ष से छात्राओं और छात्रों के अलग-अलग विद्यालय नहीं होंगे, बल्कि केवल ‘को-एड' (सह-शिक्षा) स्कूल होंगे. केरल की बाल अधिकार समिति ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को यह आदेश दिया है. ‘को-एड' स्कूल में लड़कियां और लड़के एक साथ पढ़ाई करते हैं.
केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक ऐतिहासिक आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से दक्षिणी राज्य में केवल सह-शिक्षा संस्थान होने चाहिए. समिति ने एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका के आधार पर प्रमुख सचिव (सामान्य शिक्षा), सार्वजनिक शिक्षा निदेशकों और राज्य शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को इस संबंध में एक कार्य योजना पेश करने का आदेश दिया।
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