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This Article is From Jan 17, 2023

कंझावला मामले के आरोपी आशुतोष की मिली जमानत, कोर्ट की इजाज़त के बिना दिल्‍ली नहीं छोड़ने का आदेश

कंझावला मामले में रोहिणी कोर्ट ने आरोपी आशुतोष को 50 हज़ार रुपये के बेल बांड पर जमानत दी है. कोर्ट ने ये शर्त रखी है कि आशुतोष बिना कोर्ट की इजाज़त के दिल्ली नहीं छोड़ सकते. कोर्ट ने कहा कि आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते.

कंझावला मामले के आरोपी आशुतोष की मिली जमानत, कोर्ट की इजाज़त के बिना दिल्‍ली नहीं छोड़ने का आदेश
रोहिणी कोर्ट ने आशुतोष को 50 हज़ार रुपये के बेल बांड पर जमानत दी(प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्‍ली.  दिल्‍ली के कंझावला मामले के आरोपी आशुतोष को जमानत मिल गई है. रोहिणी कोर्ट ने आशुतोष को 50 हज़ार रुपये के बेल बांड पर जमानत दी है. कोर्ट ने ये शर्त रखी है कि आशुतोष बिना कोर्ट की इजाज़त के दिल्ली नहीं छोड़ सकते. कोर्ट ने कहा कि आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते. इसके साथ ही आशुतोष को गवाहों से संपर्क नहीं करने का भी आदेश दिया गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने आशुतोष की जमानत का विरोध किया. 

इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने आरोपियों का कथित तौर पर बचाव करने वाले मामले के एक अन्य आरोपी अंकुश खन्ना को शनिवार को जमानत दे दी थी.  पुलिस ने इस मामले में पहले दीपक खन्ना (26), अमित खन्ना (25), कृष्ण (27), मिथुन (26) और मनोज मित्तल को गिरफ्तार किया था. बाद में, आशुतोष और अंकुश खन्ना  को गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली के कंझावला इलाके में कार सवार युवकों ने 20 साल की अंजलि को टक्कर मार दी थी. हादसे के बाद युवक कार लेकर भागने लगे. लड़की कार के नीचे फंसी रही और कई किलोमीटर तक सड़क पर घिसटती रही. पुलिस के मुताबिक, उसकी मौके पर ही मौत हो गई. घसीटे जाने के कारण उसके पैर भी शरीर से अलग हो गए थे. 

कंझावला मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. इसमें 2 सब इंस्पेक्टर, 4 एसिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, 4 हेड कॉन्स्टेबल और 1 कॉन्स्टेबल हुई है. सस्पेंड पुलिसकर्मियों में से 6 PCR की डयूटी में तैनात थे और 5 पुलिसकर्मी पिकेट पर तैनात थे. स्पेशल सीपी शालिनी सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में इनको दोषी पाया था. गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को मामले में जल्द से जल्द आरोपपत्र दायर करने का निर्देश दिया है ताकि दोषियों को सजा मिल सके.

कंझावला मामले में गुजरात से आई नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की टीम सुल्तान पुरी पुलिस स्टेशन में कार की जांच की. शव की एक डमी बनाई गई. फोरेंसिक सबूत इकठ्ठा करने की कवायद की जा रही. कार के नीचे के हिस्से को सही तरह से जांच करने के लिए बाकायदा क्रेन को बुलाया गया. क्रेन के ज़रिए कार को ऊपर उठाया गया, जिसके बाद एक्सपर्ट की टीम कार के उस हिस्से की जांच की, जहां अंजलि फंसी थी.

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