
- ISRO ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर भारतीय स्पेस स्टेशन (बीएएस) की पहली झलक दिखाई
- BAS-01 मॉड्यूल का वजन लगभग दस टन होगा और इसे पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा
- भारतीय स्पेस स्टेशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा, जिसमें जीवन समर्थन और डॉकिंग सिस्टम शामिल हैं
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर भारतीय स्पेस स्टेशन (बीएएस) की झलक दिखा दी. भारत की योजना है कि साल 2028 तक BAS-01 यानी पहला मॉड्यूल स्पेस में पहुंचा दिया जाए. वहीं साल 2035 तक स्पेस में अपना खुद का स्पेस स्टेशन बना लिया जाए. इससे भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो जाएगा जिसके खुद के स्पेस स्टेशन मौजूद हैं.
📸 Experience the true size of the Bharatiya Antariksh Station!
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) August 22, 2025
The first-ever 1:1 scale model of the 1st module of BAS is now on display at the Bharat Mandapam in New Delhi! 🔥
This is exactly how big the actual module is going to be! On the bottom picture, you can compare its… pic.twitter.com/8bXoVCgURm
भारतीय स्पेस स्टेशन की खास बातें
- वजन: 10 टन
- साइज: 3.8 मीटर चौड़ा, 8 मीटर लंबा
- पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर होगा स्थापित
- पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित
- व्यूपोर्ट्स की खास सुविधा
- अंतरिक्ष सूट और एयरलॉक की सुविधा
अभी के समय में सिर्फ दो स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में मौजूद है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, जिसे 5 अंतरिक्ष एजेंसी मिलकर चला रही हैं. वहीं, दूसरा चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन. आपको बता दें कि स्पेस स्टेशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के 5 मॉड्यूल स्थापित किए जाएंगे. पहले मॉड्यूल यानी बीएएस-01 का वजन 10 टन होने की उम्मीद है और इसे पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
स्वदेशी रूप से विकसित
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत की छवि को दर्शाएगा. स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल इसके लिए किया जाएगा, जिसमें एनवायरनमेंट कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ईसीएलएसएस), भारत डॉकिंग सिस्टम, भारत बर्थिंग मैकेनिज्म, ऑटोमेटिक हैच सिस्टम, माइक्रो ग्रेविटी रिसर्च के लिए प्लेटफॉर्म, साइंटिस्ट इमेजिंग और चालक दल के मनोरंजन के लिए व्यूपोर्ट शामिल है.
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में प्रोपल्शन और ईसीएलएसएस लिक्विड फिर से भरने, रेडिएशन, थर्मल मलबा (एमएमओडी), अंतरिक्ष सूट जैसी चीजें भी होंगी.
क्या-क्या करेगा काम?
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के जरिए स्पेस, लाइफ साइंस और मेडीकल के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए एक रिसर्च प्लेटफॉर्म की मदद ली जाएगी. साथ ही माइक्रो ग्रेविटी का असर मानव की सेहत पर क्या पड़ता है और स्पेस में मानव को लंबे समय रोकने के लिए जरूरी टेस्ट किए जाएंगे.
वहीं, ये अंतरिक्ष स्टेशन स्पेस टूरिस्ट को भी बढ़ावा देगा. साथ ही बीएएस वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक इकाई के तौर पर काम करेगा, जिससे युवा पीढ़ी स्पेस साइंस में करियर बनाने के लिए आगे आए.
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