- स्पेस में निष्क्रिय सैटेलाइट खतरनाक कचरे के रूप में बने हुए हैं जिन्हें खत्म करने की कई तकनीकें अपनाई जा रहीं
- चंद्रमा के गड्ढे को सैटेलाइट कब्रिस्तान बनाने की तैयारी की जा रही ताकि निष्क्रिय उपकरण वहां गिराए जा सकें
- चंद्रमा पर बढ़ते स्पेस मिशनों के कारण आने वाले दशकों में वहां कई सैटेलाइट भेजे जाएंगे
दुनिया आज चांद और तारों के पीछे भाग रही है. हर दूसरे दिन इंसान रॉकेट पर सैटेलाइट लोड करके स्पेस में लॉन्च कर रहा है. जब ये सैटेलाइन काम करना बंद कर देते हैं तो यह बेवजह स्पेस में चक्कर काटते रहते हैं. ये एक तरह से ऐसे कबाड़ होते हैं जो दूसरे सैटेलाइट के लिए खतरा पैदा करते हैं. इन्हें खत्म करने की कई कोशिशें हो चुकी हैं, चाहे उन्हें बड़े जाल लगाकर जमा करना हो या फिर लेजर से टुकड़े-टुकड़े करना. लेकिन अब एक और शानदार आइडिया पर काम किया जा रहा है.
रिसर्चर्स का कहना है कि चंद्रमा के गड्ढे अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट के लिए कब्रिस्तान का काम करेंगे. यहां चंद्रमा के कक्ष में भेजे गए डेड सैटेलाइन और अन्य निष्क्रिय हार्डवेयर को गिराया जा सकता है. हालांकि इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि उन्हें ऐसे गड्ढे में ही गिराया जाए जो सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व के न हों.
दरअसल अगले दो दशकों में चंद्रमा का चक्कर लगाने वाले सैटेलाइट की संख्या बढ़ने वाली है. वजह है कि स्पेस एजेंसियां और प्राइवेट कंपनियां चंद्रमा पर बेस बना रही हैं और बंजर भूमि पर खनन कार्य और वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण कर रही हैं. जब यह सब होगा तो, नेविगेशन और कम्युनिकेशन के लिए चांद पर बड़ी संख्या में सैटेलाइट भेजे जाएंगे. लेकिन जब इन सैटेलाइट का ईंधन खत्म हो जाएगा है, तो स्पेस एजेंसियां उन्हें चांद के सतह पर तेजी से गिराएंगी और उन्हें टुकड़ों में तोड़ दिया जाएगा.
चांद के गड्ढों में कब्रिस्तान बनाने के विकल्प पर काम किया जा रहा है. ऑपरेटर पुराने सैटेलाइट को चांद के सतह पर खास स्थानों पर, या विशाल गड्ढों में गिराएंगे. यूके अंतरिक्ष एजेंसी और यूएस आर्टेमिस ने एक समझौता किया है. भविष्य के स्पेस मिशन के लिए वे इस सिद्धांत पर भी काम कर रहे हैं.
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