
- भारतीय सेना में भैरव लाइट कमांडो की बीस बटालियनें अगले छह महीनों के भीतर सक्रिय हो जाएंगी.
- भैरव बटालियनें पारंपरिक बल और विशेष बल के बीच की क्षमता-खाई को भरने के लिए तैयार की गई हैं.
- ये हल्की, फुर्तीली और घातक बटालियनें चीन और पाकिस्तान सीमा पर तेज और प्रभावी अभियानों के लिए हैं.
भारतीय सेना में अगले छह महीने के भीतर भैरव लाइट कमांडो की बीस बटालियनें और शामिल हो जाएंगी. पांच ऐसी बटालियनें पहले ही देश के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय हैं. सेना की इन्फैंट्री विंग के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि इन पांच बटालियनों के अलावा 4 और लगभग तैयार हैं, जबकि बाक़ी 16 अगले छह महीने में काम करने लगेंगी.
ये खास तौर पर तैयार की गई यूनिट्स हैं जिनकी मार्फत सेना पारंपरिक बल और विशेष बल के बीच का फ़ासला भरने का इरादा रखती है. ये हल्के और घातक कमांडो बटालियनें हैं, इन्हें चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर तेज और जोरदार अभियानों के लिए तैयार किया जा रहा है. लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि तीन यूनिट्स नॉर्दर्न कमांड में जुड़ चुकी हैं. एक लेह में 14 कॉर्प्स के साथ है, एक श्रीनगर में 15 कॉर्प्स के साथ और एक नगरौटा में 16 कॉर्प्स के साथ. बाकी दो बटालियनों को पूर्वी और पश्चिमी सरहदों पर रेगिस्तानों और पहाड़ों में तैनात किया गया है.
अपनी त्वरित-प्रतिक्रिया क्षमता को और सशक्त करने के लिए ‘भैरव' लाइट कमांडो फोर्स का तेजी से विस्तार शुरू कर दिया है।. वर्तमान में देशभर में पांच भैरव बटालियनें सक्रिय हैं, जबकि शेष 20 इकाइयां आगामी छह महीनों में पूरी तरह तैयार हो जाएंगी.
भैरव: हल्की, फुर्तीली और घातक इकाइयां
इन्फैंट्री विंग के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि “पांच भैरव बटालियनें पूरी तरह कार्यशील हैं. चार और इकाइयां गठन की प्रक्रिया में हैं और बाकी 16 अगले छह महीनों में परिचालनिक रूप से सक्रिय हो जाएंगी.
भैरव इकाइयों को पारंपरिक इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज के बीच की क्षमता-खाई को भरने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. ये बटालियनें हल्की, गतिशील और अत्यंत घातक हैं. इनका लक्ष्य चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर त्वरित एवं उच्च-प्रभावी अभियान संचालित करना है.
इन इकाइयों का मुख्य कार्य सीमा-पार अभियान, टोही मिशन (reconnaissance) और दुश्मन की आपूर्ति एवं संचार व्यवस्था में व्यवधान डालना है. इससे पैरास्पेशल फोर्सेज अपने रणनीतिक और गोपनीय अभियानों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगी.
घातक पलटन रहेंगी यथावत
घातक पलटनों के भविष्य पर पूछे गए प्रश्न पर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने स्पष्ट किया कि इनका अस्तित्व यथावत रहेगा. उनके मुताबिक एक घातक पलटन में लगभग 20 सैनिक होते हैं, जबकि एक भैरव बटालियन में करीब 250 सैनिकों की ताकत होती है. दोनों की भूमिकाएं अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों सेना के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं.
भैरव बटालियनों में अलग-अलग बलों से लोग लिए गए हैं. इनमें एयर डिफेंस, आर्टिलरी और सिग्नल जैसी शाखाओं से सैनिक शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक भैरव इकाई में एयर डिफेंस से 5, आर्टिलरी से 4 और सिग्नल से 2 कर्मियों को शामिल किया गया है.
ड्रोन युद्ध में बढ़त: सेना ने खड़ी कीं 380 ‘ASHNI' पलटनें
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि सेना ने 380 ऐसी ASHNI पलटनें गठित की हैं जो पूरी तरह ड्रोन संचालन के काम में लगेंगी. हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में हुए अभ्यास के दौरान इन्हें पहली बार काम में लिया गया. इन पलटनों में विभिन्न प्रकार के अत्याधुनिक ड्रोन शामिल हैं, जिन्हें जासूसी, निगरानी, टोह लेना जैसे कामों में लगाय जाना है.
इस क़वायद के दौरान अशनि पलटनो्ं ने दिखाया कि उनके पास कैसे अत्याधुनिक ड्रोन हैं जो किसी युद्ध में कारगर भूमिका में आ सकते हैं और आने वाले कल के रणक्षेत्रों में भी निर्णायक लाभ पहुंचा सकते हैं. वर्तमान में भारतीय सेना के पास 380 इन्फैंट्री बटालियन हैं, जिनमें पैरा और पैरा एसएफ जैसी विशिष्ट इकाइयां शामिल नहीं हैं। प्रत्येक ASHNI पलटन में 20 विशेष रूप से प्रशिक्षित सैनिक कार्यरत हैं.
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