- भारत 2030 से पहले बहुआयामी गरीबी को आधा करने के सतत विकास लक्ष्य की दिशा में प्रगति कर रहा है-UNICEF
- 2013 से 2023 के बीच बहुआयामी गरीबी दर 29.2 प्रतिशत से घटकर 11.3 प्रतिशत हो गई है.
- पोषण अभियान, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसी सरकारी योजनाओं ने बच्चों की सेवा पहुंच बढ़ाई है
भारत 2030 की समयसीमा से पहले बहुआयामी गरीबी को आधा करने के अपने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने की राह पर है. हालांकि, लाखों बच्चे अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छ पानी जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं. यूनिसेफ ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
ये भी पढ़ें- बच्चे को लगी चोट तो अस्पताल ने ठीक करने के लिए लगा दिया फेवीक्विक, मेरठ का ये मामला आपको हैरान कर देगा
भारतीय बच्चों पर क्या कहती है रिपोर्ट?
‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2025: एंडिंग चाइल्ड पॉवर्टी- आवर शेयर्ड इम्पेरेटिव' रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 20.6 करोड़ बच्चे-जो देश की बाल आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं, जों शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पोषण, स्वच्छ पानी और स्वच्छता सहित छह आवश्यक सेवाओं में से कम से कम एक तक पहुंच से वंचित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया, “इनमें से एक-तिहाई से भी कम (6.2 करोड़) बच्चों की पहुंच दो या उससे अधिक बुनियादी सेवाओं तक नहीं है, और उन्हें दो या अधिक कमियों से उबरने के लिए अब भी सहायता की आवश्यकता है.”
23 करोड़ बच्चों को मिल रहीं बुनियादी सेवाएं
विश्व बाल दिवस के अवसर पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 46 करोड़ बच्चों में से आधे से ज़्यादा बच्चों को अब बुनियादी सेवाएं मिल रही हैं, लेकिन प्रगति अब भी एक जैसी नहीं है.
यूनिसेफ ने कहा कि भारत ने गरीबी कम करने की दिशा में तरक्की की है, जो 2030 के आखिर से पहले एसडीजी 1.2 को पाने की दिशा में आगे बढ़ने का एक मजबूत संकेत है. जबकि दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में बच्चों की भलाई में निवेश रुका हुआ है. संस्था ने कहा कि गरीबी उन्मूलन में भारत की प्रगति बाल गरीबी को कम करने में “महत्वपूर्ण” रही है.
सामाजिक सुरक्षा की पहुंच 94 करोड़ नागरिकों तक
राष्ट्रीय बहु-आयामी गरीबी सूचकांक का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में बताया गया है कि 2013-14 और 2022-23 के बीच 24.8 करोड़ भारतीय बहु-आयामी गरीबी से उबर गए, और राष्ट्रीय गरीबी दर 29.2 प्रतिशत से गिरकर 11.3 प्रतिशत हो गई. सामाजिक सुरक्षा दायरे में भारी बढ़ोतरी देखी गई जो 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो गई है. सामाजिक सुरक्षा की पहुंच 94 करोड़ नागरिकों तक हो गई है, जिसने इस बदलाव में काफी योगदान दिया है.
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैक्कैफ्रे ने कहा कि बच्चों में निवेश करने से ज्यादा बेहतर निवेश कोई नहीं है. भारत की तरक्की दिखाती है कि असरदार कार्यक्रम को और तेज करने से आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने और भारत के ‘विजन 2047' तक पहुंचने में मदद मिल सकती है.
मोदी सरकार की इन योजनाओं की तारीफ
उन्होंने कहा कि बच्चों की कुशलता में सुधार सिर्फ संसाधनों के बारे में नहीं है. यह हमारे हर फैसले में बच्चों को प्राथमिकता देने की सामूहिक इच्छा और नेतृत्व के बारे में है.
यूनिसेफ ने कहा कि भारत की प्रमुख योजनाएं-जैसे पोषण अभियान, समग्र शिक्षा, पीएम-किसान, मध्याह्न भोजन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन ने पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, आय सहायता और वित्तीय समावेशन जैसी सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
इनपुट- भाषा
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं