भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि भारत ‘क्वाड' (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) की ‘‘ड्राइविंग सीट'' (नेतृत्व की भूमिका में) पर है, जबकि अमेरिका सुधारात्मक ‘‘स्टीयरिंग व्हील'' (सहायक की भूमिका) के साथ उसके बगल वाली सीट पर बैठा है. उन्होंने साथ ही कहा कि इस राजनयिक साझेदारी की प्रकृति को ‘‘मजबूत तरीके से परिभाषित'' करना भारत की जिम्मेदारी है.
गार्सेटी ने यहां जयपुर साहियोत्सव (जेएलएफ) के 17वें संस्करण में ‘क्वाड' में सदस्य देशों की विभिन्न भूमिकाओं को समझाने के लिए ‘‘एक साथ खाने, पीने और एक साथ यात्रा करने'' की एक अनोखी उपमा का इस्तेमाल किया.
गार्सेटी (53) ने शनिवार को ‘हार्ट ऑफ द मैटर: क्वाड एंड द न्यू इंडो-पैसिफिक विजन' (मामले का मूल: क्वाड और हिंद प्रशांत संबंधी नया दृष्टिकोण) नामक सत्र में कहा, ‘‘भारत क्वाड की ‘ड्राइवर सीट' पर है... और अमेरिका शायद सुधारात्मक ‘स्टीयरिंग व्हील' के साथ उसकी बगल वाली सीट पर है. मुझे लगता है कि जापान शुरू से ही मार्ग बताने वाले उत्साही व्यक्ति की भूमिका में रहा है और ऑस्ट्रेलिया पूरे उत्साह के साथ कार में पीछे की सीट पर बैठकर यह सुनिश्चित करता है कि क्या हर किसी के पास पीने-खाने के लिए पर्याप्त सामग्री है और वह यह देखता है कि हम कहां जा रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘हमें ये अलग-अलग भूमिकाएं पसंद हैं. मैं किसी और समय पीछे बैठकर आराम करना चाहता हूं, लेकिन यह कुछ मायनों में भारत पर निर्भर है कि वह सबसे सशक्त तरीके से यह परिभाषित करे कि हम क्वाड से क्या चाहते हैं.''
गार्सेटी ने कहा कि क्वाड ‘‘दुनिया के लिए आदर्श'' हो सकता है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों से अधिक ‘‘मजबूत और स्थिर'' है.
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