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दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के दिन हुआ दर्दनाक हादसा, पतंग पकड़ने के दौरान नाले में गिरा 7 साल का मासूम

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए नालों के किनारों पर सुरक्षा व्यवस्था और चौकसी बढ़ाई जानी चाहिए, खासकर त्योहारों और राष्ट्रीय पर्व के मौके पर जब बच्चे खुले में खेलते और पतंगबाजी करते हैं.

दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के दिन हुआ दर्दनाक हादसा, पतंग पकड़ने के दौरान नाले में गिरा 7 साल का मासूम
बच्चे का पैर फिसल गया और वह नाले में गिर गया.
  • दिल्ली के वेलकम थाना क्षेत्र में 15 अगस्त की शाम 7 वर्षीय बच्चा पतंग पकड़ने के दौरान नाले में गिर गया.
  • हादसे के बाद पुलिस, दमकल विभाग और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन तुरंत शुरू किया.
  • अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया, जिससे बच्चे की तलाश में बाधा आई है.
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नई दिल्ली:

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम थाना क्षेत्र में स्वतंत्रता दिवस की शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया. लकड़ी मार्केट पुलिया के पास 7 वर्षीय बच्चा पतंग पकड़ने की कोशिश में संतुलन खो बैठा और नाले में गिर गया. हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की टीम मौके पर पहुंची और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. लेकिन अंधेरा होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है. डीसीपी उत्तर-पूर्व आशीष मिश्रा के अनुसार, घटना 15 अगस्त की शाम हुई. आसपास मौजूद लोगों से पूछताछ में पता चला कि बच्चा छतों से कटकर गिरी पतंग को पकड़ने के लिए नाले के किनारे पहुंचा था, तभी उसका पैर फिसल गया और वह पानी में गिर गया.

अंधेरे में तलाशी अभियान रोका गया

सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीम ने नाले में तलाशी अभियान चलाया, लेकिन अंधेरा बढ़ने के कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा. रेस्क्यू ऑपरेशन को अंधेरे में रोकने पर सीलमपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक चौधरी जुबेर अहमद ने नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में जब अंधेरा होने पर बचाव अभियान रोक दिया जाता है, तो अन्य राज्यों में आपदा प्रबंधन की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. उनका कहना था कि बच्चा नाले में डूबा हुआ है और प्रशासन उजाला होने का इंतजार कर रहा है, जो आपदा प्रबंधन की तैयारी और क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है. उन्होंने कहा कि बच्चा जिंदगी और मौत से जूझ रहा है और प्रशासन को उजाले का इंतजार है. उन्होंने कहा कि लाइट की व्यवस्था तो रात में भी की जा सकती है. ऐसे में इसे टालना बेईमानी है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए नालों के किनारों पर सुरक्षा व्यवस्था और चौकसी बढ़ाई जानी चाहिए, खासकर त्योहारों और राष्ट्रीय पर्व के मौके पर जब बच्चे खुले में खेलते और पतंगबाजी करते हैं.

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