राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस किसके साथ जाए, दिल्ली में राहुल गांधी के साथ इस राज्य के कांग्रेस नेताओं की बैठक में गठबंधन को लेकर खास चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल ज्यादातर नेताओं की राय थी कि मौजूदा माहौल में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया जा सकता। लिहाजा रास्ता 'लेफ्ट' का ही बचता है।
बैठक से बाहर निकलने के बाद पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्टी नेताओं ने अपनी राय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बता दी है। राहुल गांधी ने उनकी बात को गौर से सुना और कहा कि इस बारे में वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस बात पर सलाह मशविरा करेंगे।
पिछले सप्ताह लेफ्ट ने दिया था इस बारे में प्रस्ताव
पिछले हफ्ते ही लेफ्ट ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस को गठबंधन का प्रस्ताव दिया था। जानकारी ये भी आ रही है कि 294 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 80 सीट पर लड़ने को तैयार है, लेकिन लेफ्ट के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान करने से पहले कांग्रेस थोड़ा और वक्त लेना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि विचार और सुझाव लेना और देना राजनीतिक प्रक्रिया भी है और लोकतांत्रिक तरीका भी जिसे हर बड़ी पार्टी अपनाती है। सुझाव और सलाह आए हैं, लेकिन अभी ऐसा नहीं मानना चाहिए कि कोई फैसला ले लिया गया है। फैसला लिया जाएगा तो आप सभी को बताया जाएगा।
कांग्रेस की दुविधा का कारण यह
कांग्रेस के सामने एक दुविधा इस बात को लेकर है कि केरल में लेफ्ट के साथ यूडीएफ गठबंधन की सरकार की लड़ाई उफान पर है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का हाथ पकड़ना थोड़ा अजीब लगता है। एक सोच ये भी है कि ममता को साथ लेकर बिहार जैसा महागठबंधन बनाया जा सकता है ताकि बीजेपी को हर हाल में रोका जाए। लेकिन बंगाल के कांग्रेसी नेताओं की राय है कि जिन ममता के खिलाफ उसके कार्यकर्ता लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं, चुनाव से ठीक पहले उनका हाथ पकड़ना ठीक नहीं होगा। ये भी कि ममता के साथ पहले का गठबंधन फेल हो चुका है। ममता पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वे आगे चल कर बीजेपी का दामन न थाम ले।
कांग्रेस किसके साथ समझौता करेगी, इसका अंतिम फैसला एंटनी कमेटी लेती है। लेकिन किसी भी अंतिम फैसले पर पहुंचने के लिए पहले कांग्रेस हर नफा-नुकसान तौलकर देख लेना चाहती है।
बैठक से बाहर निकलने के बाद पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्टी नेताओं ने अपनी राय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बता दी है। राहुल गांधी ने उनकी बात को गौर से सुना और कहा कि इस बारे में वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस बात पर सलाह मशविरा करेंगे।
पिछले सप्ताह लेफ्ट ने दिया था इस बारे में प्रस्ताव
पिछले हफ्ते ही लेफ्ट ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस को गठबंधन का प्रस्ताव दिया था। जानकारी ये भी आ रही है कि 294 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 80 सीट पर लड़ने को तैयार है, लेकिन लेफ्ट के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान करने से पहले कांग्रेस थोड़ा और वक्त लेना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि विचार और सुझाव लेना और देना राजनीतिक प्रक्रिया भी है और लोकतांत्रिक तरीका भी जिसे हर बड़ी पार्टी अपनाती है। सुझाव और सलाह आए हैं, लेकिन अभी ऐसा नहीं मानना चाहिए कि कोई फैसला ले लिया गया है। फैसला लिया जाएगा तो आप सभी को बताया जाएगा।
कांग्रेस की दुविधा का कारण यह
कांग्रेस के सामने एक दुविधा इस बात को लेकर है कि केरल में लेफ्ट के साथ यूडीएफ गठबंधन की सरकार की लड़ाई उफान पर है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का हाथ पकड़ना थोड़ा अजीब लगता है। एक सोच ये भी है कि ममता को साथ लेकर बिहार जैसा महागठबंधन बनाया जा सकता है ताकि बीजेपी को हर हाल में रोका जाए। लेकिन बंगाल के कांग्रेसी नेताओं की राय है कि जिन ममता के खिलाफ उसके कार्यकर्ता लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं, चुनाव से ठीक पहले उनका हाथ पकड़ना ठीक नहीं होगा। ये भी कि ममता के साथ पहले का गठबंधन फेल हो चुका है। ममता पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वे आगे चल कर बीजेपी का दामन न थाम ले।
कांग्रेस किसके साथ समझौता करेगी, इसका अंतिम फैसला एंटनी कमेटी लेती है। लेकिन किसी भी अंतिम फैसले पर पहुंचने के लिए पहले कांग्रेस हर नफा-नुकसान तौलकर देख लेना चाहती है।
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