
- हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों, विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व विधायकों की सैलरी में 24 प्रतिशत की वृद्धि.
- मुख्यमंत्री का मासिक वेतन बढ़ाकर तीन लाख पचास हजार रुपये और मंत्रियों को अतिरिक्त प्रतिनिधिक व्यय मिलेगा.
- विधायकों का मासिक वेतन बढ़कर दो लाख अस्सी हजार रुपये हुआ, साथ ही विभिन्न भत्ते भी बढ़ाए गए हैं.
हिमाचल प्रदेश में दिवाली से पहले माननीयों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है. मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने मंत्रियों, विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पूर्व विधायकों के वेतन-भत्तों में 24 प्रतिशत की वृद्धि की अधिसूचना जारी कर दी है. गुरुवार को प्रदेश सरकार के विधि विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की, जिससे अब मुख्यमंत्री से लेकर विधायक तक को बढ़ा हुआ वेतन और भत्ते मिलने शुरू हो जाएंगे. इस बढ़ोतरी को लेकर विधानसभा में मार्च 2025 के बजट सत्र के दौरान तीन महत्वपूर्ण विधेयक पास करके की गई थी.
कौन-कौन से विधेयक हुए थे पास
हिमाचल प्रदेश मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते संशोधन विधेयक 2025, हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष वेतन संशोधन विधेयक 2025,और हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन संशोधन विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित किए गए थे. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की मंजूरी के बाद इन विधेयकों को अधिनियम का रूप दिया गया था लेकिन विधानसभा सचिवालय और सामान्य प्रशासन विभाग के बीच तकनीकी औपचारिकताओं और कुछ बिंदुओं पर असहमति के चलते अधिसूचना जारी होने में देरी हुई. मंत्रियों और विधायकों के वेतन में मामूली अंतर को लेकर कुछ समय तक विवाद रहा, जिसे अब दोनों विभागों ने सुलझा लिया है.
नई अधिसूचना के अनुसार मुख्यमंत्री का कुल वेतन और भत्ता अब 3.50 लाख रुपये प्रति माह होगा, जो पहले 2.65 लाख रुपये था. विधानसभा अध्यक्ष को 3.45 लाख रुपये, उपाध्यक्ष को 3.40 लाख रुपये और कैबिनेट मंत्रियों को 3.10 लाख रुपये मासिक वेतन मिलेगा. इसके अलावा मंत्रियों को 1.50 लाख रुपये प्रतिमाह का प्रतिनिधिक व्यय (सत्कार भत्ता) भी मिलेगा.

विधायकों की जेब भी हुई भारी
- वही अब विधायकों का मासिक वेतन 2.10 लाख रुपये से बढ़कर 2.80 लाख रुपये हो गया है.
- बेसिक वेतन 55,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये किया गया है.
- विधानसभा क्षेत्र भत्ता 90,000 रुपये से बढ़ाकर 1.20 लाख रुपये किया गया है.
- कार्यालय भत्ता 30,000 रुपये से बढ़ाकर 90,000 रुपये कर दिया गया है.
- प्रतिपूरक भत्ता फिलहाल 5,000 रुपये ही रहेगा. साथ ही विधानसभा की बैठक में उपस्थित रहने पर मिलने वाला भत्ता भी 1,800 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये किया गया है.
पूर्व विधायकों की पेंशन में 24% वृद्धि
पूर्व विधायकों को भी बढ़ोतरी का लाभ मिला है. उनकी पेंशन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है अब उन्हें 1.29 लाख रुपये मासिक पेंशन मिलेगी, जो पहले 93,240 रुपये थी. सरकार ने बेसिक पेंशन को 36,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है जिसमें 169 प्रतिशत महंगाई भत्ता (DA) शामिल किया गया है. अब हर पांच साल वर्ष में पेंशन महंगाई सूचकांक के अनुसार स्वचालित रूप से बढ़ेगी.
कुछ भत्ते खत्म फिर भी बोझ बरकरार
वेतन-भत्तों में वृद्धि के साथ सरकार ने कुछ विशेष भत्ते समाप्त कर दिए हैं. टेलीफोन भत्ते के 15,000 रुपये के अलावा बिजली और पानी बिल भत्ता अब नहीं दिया जाएगा. इन बिलों का भुगतान अब विधायकों को खुद करना होगा. पूर्व विधायकों का टेलीफोन भत्ता भी समाप्त कर दिया गया है. इस वेतन वृद्धि से हिमाचल प्रदेश सरकार पर सालाना कारीब 20 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. सरकार का तर्क है कि बढ़ा हुआ वेतन महंगाई दर और बढ़ती जीवन लागत के अनुरूप है, जबकि कुछ अनावश्यक भत्ते समाप्त करके वित्तीय अनुशासन बनाए रखने का प्रयास किया गया है.
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