सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर मैं राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होता हूं तो मैं बिना किसी डर या पक्षपात के विधान के संरक्षक के रूप में अपना कर्तव्य निभाऊंगा. मेरी प्राथमिकताओं में कश्मीर मुद्दे को स्थायी रूप से हल करने और शांति, न्याय, लोकतंत्र, सामान्य स्थिति बहाल करने तथा जम्मू कश्मीर के समग्र विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का सरकार से आग्रह करना शामिल रहेगा.'
राष्ट्र का मिजाज सांप्रदायिकता के खिलाफ है
उन्होंने यह भी दावा किया कि देश में सद्भाव नष्ट हो गया है, लेकिन राष्ट्र वापस लड़ेगा क्योंकि उसका मिजाज सांप्रदायिकता के खिलाफ है. सिन्हा ने कहा कि यह बेहद खेदजनक है कि केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त किए जाने के लगभग तीन साल बाद भी उच्चतम न्यायालय ने इससे संबंधित मामले की सुनवाई शुरू नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘संवैधानिक मामले लंबित रहने से शीर्ष अदालत की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है.' साथ ही, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए तथा विधानसभा के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए.' उन्होंने कहा, ‘मैं जम्मू कश्मीर में जबरन और हेरफेर करने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तन का विरोध करता हूं.'
कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा को लेकर विफल रही मोदी सरकार
सिन्हा ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए स्थितियां बनाने के अपने वादे में विफल रही है. उन्होंने कहा, ‘इसे न केवल कश्मीरी पंडितों के लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी वादा पूरा करना चाहिए, जिन्हें कश्मीर से पलायन करने करने के लिए मजबूर किया गया था.'
सिन्हा ने कहा, ‘जून 2020 में एक सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दिल की दूरी' और ‘दिल्ली की दूरी' को खत्म करने का वादा किया था. दो साल से अधिक समय बीत चुका है, वादा अधूरा है.'सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर उनके मन में बहुत सम्मान है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, मैं उनसे वही प्रतिज्ञा और वादे करने का आग्रह करता हूं जो मैंने किए हैं. जम्मू कश्मीर के लोग भी उनसे इस आश्वासन की उम्मीद करते हैं.'
सिन्हा ने कहा कि उनसे उनकी श्रीनगर यात्रा का कारण पूछा गया क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में जम्मू कश्मीर का बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व नहीं है. सिन्हा ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि मैं जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ हुए अन्याय को उजागर करने के लिए श्रीनगर जा रहा हूं. मैं चाहता हूं कि शेष भारत के लोग यह जानें कि कैसे जम्मू कश्मीर में उनके हमवतन लोगों से उनके मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए हैं.'
जम्मू कश्मीर को ‘प्रबंधन' के जरिए नहीं ‘जीता' जा सकता
एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को ‘प्रबंधन' के जरिए नहीं ‘जीता' जा सकता है. सिन्हा ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में हुए अन्याय से लड़ने की कोई इच्छाशक्ति नहीं है. शायद, इसलिए विधानसभा चुनाव नहीं कराया गया है. शायद इसलिए अनावश्यक परिसीमन कवायद की गई जिसने किसी के साथ न्याय नहीं किया. उन्हें पता होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर को प्रबंधन से नहीं जीता जा सकता.'
देश में स्थिति खराब हो गई है
देश के हालात के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, ‘पूरे देश में स्थिति खराब हो गई है. सद्भाव खत्म हो गया है. अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में सबको पता है.' उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र का अपना स्वभाव होता है. वर्तमान स्थिति एक भटकाव है. अगर हम सब इसके खिलाफ मिलकर काम करते हैं, तो इस स्थिति से बच सकते हैं.'
यह पूछे जाने पर कि क्या महाराष्ट्र में सरकार बदलने से उनके जीतने की संभावना पर कोई असर पड़ा है, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी लड़ाई सिद्धांतों को लेकर है। सिन्हा ने कहा, ‘महाराष्ट्र में सरकार बदलना कोई नई बात नहीं है. उन्होंने इसे ‘ऑपरेशन कमल' कहा और पहले भी कई प्रयास किए गए थे. यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने लोगों के जनादेश को उलट दिया है. यह पूर्व में कर्नाटक, मध्य प्रदेश गोवा और मेघालय में हो चुका है.'
सिन्हा ने आरोप लगाया कि इन अभियानों को अंजाम देने के लिए भाजपा केंद्र सरकार की एजेंसियों का ‘दुरुपयोग' कर रही है. उन्होंने कहा, ‘इस प्रक्रिया में, वे भारत सरकार की सभी एजेंसियों का दुरुपयोग करते हैं। महाराष्ट्र में सरकार बदलने से कुछ नुकसान होगा लेकिन यह लड़ाई इस बात की नहीं है कि किसके पास कितनी संख्या है. यह लड़ाई सिद्धांतों और विचारधारा के बारे में है और यही इस लड़ाई महत्वपूर्ण बनाती है.''
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