- TMC से निकाले गए हुमायूं कबीर 22 तारीख को अपनी नई पार्टी के नाम का ऐलान करने वाले हैं.
- हुमायूं कबीर ने कहा कि एक व्यक्ति ने 80 करोड़ रुपये बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए देने का वादा किया है.
- कबीर ने कहा कि पैसे राजनीति में नहीं जाएंगे बल्कि मस्जिद निर्माण में लगाए जाएंगे.
टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर अब अपनी पार्टी को ही चुनौती देने में जुट गए हैं. कबीर ने राज्य में 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. टीएमसी ने आरोप लगाया है कि बाबरी मस्जिद के लिए कबीर को बीजेपी पैसे दे रही है. कबीर ने टीएमसी के इस आरोप पर ममता बनर्जी को ही निशाने पर ले लिया.
'बाबरी मस्जिद के नाम पर करोड़ों का ऑफर', हुमायूं कबीर का विस्फोटक इंटरव्यू #BabriMasjid | #HumayunKabir | #WestBengal | @RittickMondal pic.twitter.com/paqr4LV6Aj
— NDTV India (@ndtvindia) December 10, 2025
'80 करोड़ रुपये देने का वादा'
NDTV ने विधायक हुमायूं कबीर से सवाल करते हुए पूछा कि टीएमसी का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी की और से आपको पैसे भेंट किए जा रहे हैं. ताकि आने वले चुनाव में आप TMC के वोटों में सेंध लगा सके. इस सवाल का जवाब देते हुए तीखे अंदाज में हुमायूं कबीर ने कहा कि आप टीएमसी को पूछे अटल बिहारी वाजपेयी को जो कालीघाट में लेकर आए... उनके माता (ममता बनर्जी की मां) को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रणाम किया था, उस टाइम कितनी करोड़ की डील हुई थी. वो पहले इसपर फोकस करें, बाद में मैंने कितना पैसे लिए है या नहीं उसपर बात होगी.
साथ ही हुमायूं कबीर ने कहा कि 22 तारीख को वो अपनी पार्टी के नाम का ऐलान करने वाले हैं. उन्होंने ये दावा भी किया कि एक आदमी ने उन्हें 80 करोड़ रुपये देना का वादा किया है. जो भी पैसे उनको मिलेंगे वो राजनीति में नहीं जाएंगे. उससे बाबरी मस्जिद का निर्माण करेंगे.

दरअसल साल 2002 में वाजपेयी के मंत्रिमंडल में ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं. इस दौरान किस बात से नाराज होकर ममता बनर्जी दिल्ली से कोलकाता चली गई थीं. नाराज ममता को मनाने के लिए जॉर्ज फर्नांडिस को कोलकाता भेजा गया था. लेकिन उन्होंने जॉर्ज से मुलाकात नहीं की. फिर बाद में अचानक तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ममता बनर्जी के कोलकाता स्थित घर पहुंच गए. ममता का घर कालीघाट इलाका में था. ममता के घर पहुंचकर अटल बिहारी वाजपेयी ने ममता की मां गायत्री देवी के पैर छूकर प्रणाम किया था. ममता कई बार इस किस्से को याद कर चुकी हैं
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