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This Article is From Feb 23, 2012

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता को अपराधमुक्त मानेगी सरकार

v: समलैंगिता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान पर चारों ओर आलोचना झेल रही केंद्र सरकार ने शाम को एक प्रेस नोट के जरिए कहा कि वह एडिश्नल सोलिसिटर जनरल की राय से इत्तेफाक नहीं रखती। सरकार ने आज कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती नहीं देगी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में समलैंगिकता को अपराधमुक्त करार दिया था।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि वह समलैंगिकता को अपराधमुक्त करने के पक्ष में नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि बाल यौन शोषण एवं दूसरे 'अप्राकृतिक अपराधों' को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को बनाए रखना चाहिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने रखे गए दृष्टिकोण को दोहराते हुए गुरुवार को मंत्रालय ने कहा कि समलैंगिकता अनैतिक है और इससे देश में एड्स का संक्रमण होता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने धारा 377 को रद्द कर दिया था।

न्यायामूर्ति जीएस सिंघवी की पीठ के समक्ष सहायक महाधिवक्ता पीपी मल्होत्रा ने समलैंगिकता एवं एड्स के प्रसार के बीच कड़ी जोड़नी चाही, तो इस पर पीठ ने इसके समर्थन में आंकड़े मांगे।

न्यायालय ने पाया कि गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार एचआईवी/एड्स संक्रमण के सिर्फ आठ फीसदी मामले समलैंगिकता से सम्बधित हो सकते हैं। मल्होत्रा ने कहा कि समलैंगिकता के कारण एचआईवी या एड्स के संक्रमण की आशंका अधिक रहती है।

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