लोकसभा में चुनाव सुधार और मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर दो दिन तक हुई चर्चा का गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया.इस दौरान उन्होंने विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जबाव दिया. इस दौरान उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार हुआ है कि कोई जज फैसला सुनाए और उसके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाए.
आजादी के बाद का पहला केस
अमित शाह ने कहा, ''आजादी के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई जज फैसला सुनाए और उनके खिलाफ महाभियोग लेकर आ जाएं. अपनी वोट बैंक को अड्रेस करने के लिए महाभियोग लेकर आते हैं. इस पर प्रस्ताव पर उद्धव ठाकरे जी ने भी साइन कर दिया है, उद्धव जी जजमेंट क्या है कि एक पहाड़ी पर मान्यता है कि वहां सबसे ऊपर दिया जलाया जाए.यह वोट बैंक को संभालने के लिए एक हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग लेकर आए हैं.देश की जनता उनकी मदद नहीं करेगी.
गृहमंत्री ने कहा,''2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी.तीन लोकसभा हम चुनाव जीते, लोकसभा के तीन और 41 राज्यों के चुनाव हमने जीते. हम कुल 44 चुनाव जीते.उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के बीच विपक्ष ने 30 जगहों पर चुनाव जीते है, अगर मतदाता सूची गलत है तो कैसे चुनाव जीता, नए कपड़े पहनकर क्यों शपथ लिया.''
अमित शाह ने कांग्रेस पर फिर बोला हमला
शाह ने कहा,''राहुल गांधी जिस जगह से चुनाव जीते हैं, वायनाड की मतदाता सूची में भी मेरी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किसी प्रकार की अनियमितता नहीं देखी. इसका कोई जवाब नहीं है. हमने अमेठी का भी बताया है, इसका जवाब नहीं देते हैं. चुनाव में जो थोड़ी बहुत गलती होती है, उसको कारण नहीं बना सकते हैं. आपकी डिमांड है कि मतदाता सूची ठीक हो, वही काम चुनाव आयोग कर रहा है. वोट चोरी का मुद्दा लेकर पूरे बिहार में यात्रा निकाली फिर भी हार गए. हारने का कारण आपका नेतृत्व है, हारने का कारण मतदाता सूची नहीं है. अगर ये मानते हैं कि कोई पूछने वाला नहीं है, भगवान करे कि मैं गलत हो जाऊं. कांग्रेस के कार्यकर्ता इनका हिसाब मांगेंगे.''
जज के खिलाफ महाभियोग
विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जज जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की. लोकसभा अध्यक्ष को ओम बिड़ला को सौंपे गए प्रस्ताव पर 120 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. इस नोटिस पर हस्ताक्षर करने वालों में डीएमके, सपा, कांग्रेस नेताओं के सांसद शामिल हैं. नौ दिसंबर 2025 के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 217 और 124 के तहत जस्टिस स्वामीनाथन को हटाने का प्रस्ताव लाया गया है.
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