हिजाब मामला : याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- औरंगजेब गलत था, क्या हम उसके जैसा ही बनना चाहते हैं?

वकील दुष्यंत दवे ने कहा- संविधान खुलेपन और स्वतंत्रता की बात करता है जबकि सरकारें पाबंदी की, यहां बात सिर्फ समानता की ही नहीं बल्कि साथ जीवन गुजारने पर भी जताई जाने वाली आपत्तियों पर है

हिजाब मामला : याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- औरंगजेब गलत था, क्या हम उसके जैसा ही बनना चाहते हैं?

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

कर्नाटक (Karnataka) के हिजाब मामले (Hijab case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की तरफ से वकील दुष्यंत दवे ने बहस करते हुए कहा यह उस ड्रेस के बारे में नहीं है, हम सैन्य स्कूलों या नाजी स्कूलों के रेजिमेंट की बात नहीं कर रहे हैं. हम यहां प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के बारे मे बात कर रहे हैं. संविधान खुलेपन और स्वतंत्रता की बात करता है जबकि सरकारें पाबंदी की. यहां बात सिर्फ समानता की ही नहीं बल्कि साथ जीवन गुजारने पर भी जताई जाने वाली आपत्तियों पर है. 

दवे ने कहा कि, हिंदू-मुस्लिम लड़का-लड़की शादी करके एक साथ जीवन गुजारना चाहें उस पर भी लोगों को दिक्कत है. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं की जीवन साथी हिंदू हैं. प्रख्यात संगीतकार उस्ताद अमजद अली खान की पत्नी हिंदू हैं. मुगल बादशाह अकबर की पत्नी हिंदू थीं. तब अकबर ने हिंदू रानियों और उनकी सखियों को महल में मंदिर बनाने और पूजा करने की सुविधा और स्वतंत्रता भी दी थी.

दवे ने कहा कि हमारा देश एक खूबसूरत संस्कृति पर बना है..परंपराओं से बना है. और 5000 साल में हमने कई धर्म अपनाए हैं...दुनिया भर के इतिहासकारों ने कहा है, भारत वह जगह है, जो लोग आए यहां लोगों को स्वीकार किया गया है. भारत ने हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म को जन्म दिया. इस्लाम यहां आया और हमने अपना लिया. भारत ही एक ऐसी जगह है जहां अंग्रेजों को छोड़कर यहां आए लोग बिना किसी विजय के यहां बस गए.

दवे ने कहा कि, अगर किसी हिंदू को मुस्लिम से शादी करने के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी पड़े तो यह विविधता में एकता कैसे होगी? आप प्रेम को कैसे बांध सकते हैं?

दवे ने कहा कि, हम देखते हैं कि औरंगजेब ने क्या किया, बेशक वह गलत था, हम उसकी निंदा करते हैं. लेकिन क्या हम यही बनना चाहते हैं?

उन्होंने कहा कि, हमने हिजाब पहनकर किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई है, हमारी पहचान हिजाब है. वास्तव में ये अच्छा होगा कि जब एक हिंदू लड़की मुस्लिम लड़की से पूछे कि आपने हिजाब क्यों पहना है, और वह अपने धर्म के बारे में बताए. यह वास्तव में अच्छी बात होगी.

दुष्यतं दवे ने कहा कि, लोग चाहते हैं कि आज लोग गांधी को भूल जाएं और केवल सरदार पटेल के बारे में बात करें. लेकिन सरदार बहुत ही धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे. इस न्यायालय के लिए एकमात्र धर्म, जो मायने रखता है, वह है भारत का संविधान. हिंदुओं के लिए गीता जितनी महत्वपूर्ण है, मुसलमानों के लिए कुरान, सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब और ईसाइयों के लिए बाइबिल, संविधान के बिना हम कहीं के नहीं रहेंगे.

दवे ने दलील दी कि, अकबर उदार था तो उसकी तारीफ की जाती है. इतिहास में हम देखते हैं कि औरंगजेब ने क्या किया. बेशक वह गलत था, हम उसकी निंदा करते हैं. लेकिन क्या हम उसके जैसा ही बनना चाहते हैं? संविधान निर्माताओं ने कभी पगड़ी की बात नहीं की, केवल कृपाण की बात की, क्योंकि शस्त्र साथ रखना मौलिक अधिकार नहीं था.

दुष्यंत दवे ने कहा कि, इस्लामिक दुनिया में अब तक 10,000 से ज्यादा आत्मघाती हमले हो चुके हैं,  भारत में केवल एक.
इसका मतलब है कि अल्पसंख्यकों को हमारे देश पर भरोसा है. रिकॉर्ड देखिए इराक, सीरिया में रोजाना आत्मघाती हमले की खबरें मिलेंगी, लेकिन भारत में नहीं.

दवे ने कहा कि, अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर रखने का पैटर्न सा चल रहा है. हिजाब रीति रिवाज है, इस पर कोर्ट का फैसला ऐसा हो जिससे माहौल अच्छा हो.

उन्होंने कहा कि, आज हमें लगता है कि अगर कोई प्यार करता है और शादी कर लेता है, तो हमें लगता है कि यह धर्म परिवर्तन का प्रयास है. मुझे नहीं पता हम किधर जा रहे हैं. भाईचारे की भावना  संविधान के स्वीकृत लक्ष्यों में से एक है और सरकार ने इसे पूरी तरह से भुला दिया है. 

दवे ने कहा कि, सदियों से मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनती आई हैं. अन्य देशों में, मलेशिया, अरब या अमेरिका में, मॉर्डन वर्ल्ड में भी मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनना चाहती हैं. सिखों के लिए पगड़ी की तरह, मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब महत्वपूर्ण है. कुछ गलत नहीं है उसके साथ, यह उनका विश्वास है. कोई तिलक लगाना चाहता है, कोई क्रॉस पहनना चाहता है, सभी का अधिकार है, और यही सामाजिक जीवन की खूबसूरती है.

जस्टिस धूलिया ने कहा कि, हाईकोर्ट के फैसले में ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है. दवे ने कहा, क्या हिजाब पहनने से भारत की एकता और अखंडता को खतरा है? जस्टिस धूलिया ने कहा कि, ऐसा कोई नहीं कह रहा है. हाईकोर्ट के फैसले में भी नहीं. दवे ने कहा, आखिरकार, यही एकमात्र प्रतिबंध है.

जस्टिस धूलिया ने कहा कि, यहां आपका तर्क विरोधाभासी हो सकता है,  क्योंकि आपका तर्क था कि अनुच्छेद 19 से हिजाब पहनने का अधिकार मिलता है और इसे केवल एक वैधानिक कानून द्वारा केवल 19 (2) के तहत प्रतिबंधित किया जा सकता है. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि, रिलीजियस प्रेक्टिस से आपका क्या तात्पर्य है? दवे ने कहा- जिसे समुदाय मानता है, जिसे व्यक्ति धार्मिक अभ्यास मानता है. 

दवे ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ड्रेस कोड निर्धारित किया है. कल अगर मैं टोपी पहन कर कोर्ट में आ जाऊं तो क्या आप मना करेंगे?  वकीलों की अदालत के कमरों में टोपी या पगड़ी पहनने की परंपरा रही है. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि यह एक परंपरा है, जब भी कोई सम्मानजनक स्थानों पर जाता है, तो सिर ढका होता है.

दवे ने कहा कि और स्कूल व क्लास एक सम्मानजनक स्थान है हमारे प्रधानमंत्री को देखिए. महत्वपूर्ण दिनों में वह कितनी खूबसूरती से पगड़ी पहनते हैं. यह लोगों का सम्मान करने का एक तरीका है. शिरूर मठ मामले में कहा गया है कि धर्म का प्रचार "पार्लर मीटिंग" में भी हो सकता है तो यह एक स्कूल में भी हो सकता है. अगर एक मुस्लिम महिला को लगता है कि हिजाब पहनना उसके धर्म के लिए अनुकूल है, तो कोई अदालत अन्यथा नहीं कह सकती.

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