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अमरनाथ यात्रा के लिए इस बार नहीं उड़ेंगे हेलीकॉप्टर, सुरक्षा कारणों से नो-फ्लाइंग जोन घोषित

अमरनाथ यात्रा पर भारी आतंकी खतरा मंडरा रहा है. इसी खतरे को देखते हुए प्रशासन ने पहली बार यात्रा मार्ग को नो-फ्लाइंग जोन घोषित करते हुए हेलिकॉप्टर सेवाएं भी निरस्त कर दी हैं.

अमरनाथ यात्रा के लिए इस बार नहीं उड़ेंगे हेलीकॉप्टर, सुरक्षा कारणों से नो-फ्लाइंग जोन घोषित

अमरनाथ यात्रा में आतंकी खतरा को देखते हुए इस बार हेलिकॉप्टर सेवा को रद्द कर दिया गया है. एक जुलाई से लेकर 10 अगस्त तक पूरे एरिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया हैं. यह सच है कि इस बार यात्रा पर भारी आतंकी खतरा मंडरा रहा है. इसी खतरे को देखते हुए प्रशासन ने पहली बार यात्रा मार्ग को नो-फ्लाइंग जोन घोषित करते हुए हेलिकॉप्टर सेवाएं भी निरस्त कर दी हैं. हालांकि, यह फैसला उन दावों पर प्रश्नचिह्न लगाता है, जिसमें कश्मीर को अब पूरी तरह सुरक्षित बताया जा रहा था.

22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन इलाके में हुए पर्यटकों के नरसंहार ने घाटी की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी थी. इसके बाद बड़ी संख्या में पर्यटकों ने कश्मीर से दूरी बना ली. ज्यादातर पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए. अब सरकार ने बंद पड़े पर्यटन स्थलों को खोलने की घोषणा की, जिससे पर्यटन उद्योग में फिर से हलचल शुरू हुई. लेकिन तभी अमरनाथ श्राइन बोर्ड के इस अप्रत्याशित फैसले ने एक बार फिर डर और असुरक्षा का माहौल बना दिया. इससे पहले करीब दो महीने की लगातार मेहनत और प्रचार-प्रसार के बाद जैसे-तैसे कश्मीर में पर्यटकों की वापसी की उम्मीद जगी थी. स्थानीय लोगों को लगा था कि अब अमरनाथ यात्रा से फिर उनके पुराने दिन लौट आएंगे. उनका धंधा फिर से चल निकलेगा.

बता दें कि 3 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा में हेलिकॉप्टर सेवाएं बंद करने के पीछे आधिकारिक तौर पर कोई कारण नहीं बताया गया है. लेकिन सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आतंकी हेलिकॉप्टरों को निशाना बना सकते थे. इसलिए सरकार को यह फैसला लेना पड़ा हैं.

वैसे कारण चाहे जो भी हों, इस निर्णय का असर व्यापक और गहरा पड़ा है. इसने कश्मीर को एक बार फिर डर के साये में जीने को मजबूर कर दिया हैं. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे पूरे देश में कश्मीर की नकारात्मक छवि बनेगी. उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि बैसरन हमले के बाद कश्मीरियों ने दो महीने तक कड़ी मेहनत कर हालात सामान्य किए थे. लेकिन एक फैसले ने सब पर पानी फेर दिया. श्राइन बोर्ड के इस फैसले से उन हजारों श्रद्धालुओं में भी रोष है जो हेलिकॉप्टर से यात्रा करने की योजना बना रहे थे. खासकर ऐसे श्रद्धालु जो उबड़-खाबड़ और पहाड़ी रास्तों में चल पाने में असमर्थ हैं . कई यात्रियों को अब यह संदेह सताने लगा है कि क्या सचमुच में अमरनाथ यात्रा करना पूरी तरह सुरक्षित होगा. इस बार जिस तरह सुरक्षा प्रबंधों को लेकर शोर मचा हुआ है. उससे यह आभास होता है कि कोई बड़ा खतरा वाकई यात्रा पर मंडरा रहा है. ऐसे में यात्रा करने से तो डर तो मन मे बना ही रहेगा.

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