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This Article is From May 25, 2024

खून गर्म, फिर भी बर्दाश्त से बाहर क्यों गर्मी; जानें कैसे काम करता है बॉडी का सिस्टम

दिन में हो रही भीषण गर्मी (Heatwave) से राहत के लिए रात में शरीर का तापमान ठंडा रहना चाहिए. लेकिन मौसम के बदलते दौर में रात में भी शरीर को ठीक से आराम ही नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से परेशानियां बढ़ रही हैं.

खून गर्म, फिर भी बर्दाश्त से बाहर क्यों गर्मी; जानें कैसे काम करता है बॉडी का सिस्टम
गर्म देशों के लोग भी क्यों होते हैं हीटवेब का शिकार. (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:

उत्तर भारत इन दिनों भीषण गर्मी (North India Temperature High) के प्रकोप से जूझ रहा है. सूरज की तपन इस कदर बढ़ गई है कि घर से बाहर निकलना मुहाल हो रहा है. करीब 45 से 47 डिग्री तक बढ़ रहे पारे के बीच लू के थपेड़े (Heatwave) शरीर का सारा पानी सुखा दे रहे हैं. झुलसा देने वाली गर्मी से लोगों का बुरा हाल है. चुभती-जलती गर्मी से राहत पाने के लिए लोग ठंडे पेय पदार्थों का सहारा लेने को मजबूर हैं. दोपहर में चल रही हीटवेव की वजह से बीमार होने का खतरा भी बढ़ रहा है, यहां तक कि मौतें तक हो रही हैं. इस बीच सवाल यह है कि जब हमारा खून गर्म है, तो फिर हम बाहरी तापमान सहन क्यों नहीं कर पाते और पारा चढ़ने से अचानक बीमार क्यों पड़ जाते हैं. आपके जहन में चल रहे इस सवाल का जवाब हम आपको देते हैं.

गर्म देशों के लोग भी क्यों नहीं सह पाते हीटवेव?

 तापमान में बदलाव बहुत ही चिंता की बात है. माना जा सकता है कि भारत के गर्म देश होने के नाते यहां रहने वाले लोग भी ज्यादातर गर्म तापमान के आदी हो गए हैं. फिर भी हीटवेव के समय शरीर इसकी गर्मी को सह नहीं पाता है. जब कि हमारा शरीर तो इसका आदी होना चाहिए.

खास बात यह है कि हमारे शरीर को एक निश्चित तापमान की आदत होती है. टेंपरेचर अचानक बहुत ऊपर या नीचे होने पर हमारी बॉडी का स्टेबलाइजर इसको तुरंत मैनेज नहीं कर पाता और हम बीमार पड़ जाते हैं. शरीर को एक स्थिर तापमान की आदत होती है, अचानक से चढ़ता पारा शरीर सहन नहीं कर पाता है. 

हीटस्ट्रोक कब हो सकता है जानलेवा?

हमारी बॉडी एक स्थिर तापमान को बनाए रखने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करती है. गर्मी को खत्म करने के लिए यह हमारे ब्लड फ्लो बदलती है. ब्लड को कुछ अंगों से दूर दूसरी तरफ मोड़ती है. पसीना बहने से हमारी स्किन में ब्लड का फ्लो होता है. गर्म मौसम में ब्लड का फ्लो बढ़ाने के लिए हमारे दिल को भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है. शरीर में ऑक्सीजन बढ़ने से भी गर्मी कम हो सकती है, लेकिन अगर दिल या गुर्दे ठीक से काम नहीं करते तो यह काम बहुत मुश्किल हो जाता है.

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अगर गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि शरीर इसको अंदर नहीं रख पा रहा तो हीट बन जाती है. हीट स्ट्रोक इसका सबसे गंभीर रूप है. जब हमारी बॉडी गर्मी को रिलीज नहीं कर पाती तो भीतर सूजन बढ़ने लगती है, ब्लड वेसल्स खुल जाती हैं और एंजाइम ठीक से काम नहीं कर पाते हैं. इससे शरीर के अंग ख़राब होने लगते हैं. अगर हीटस्ट्रोक की वजह से अस्पताल जाना पड़े तो यह लाइफ के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.  

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Photo Credit: ANI

हीटवेव से किन लोगों को ज्यादा खतरा?

  • हमारे शरीर का सिस्टम गर्मी से बहुत ज्यादा प्रभावित होता है.
  • जब हाई ह्यूमिडिटी के साथ ज्यादा हीट होती है तो गर्मी से परेशानी भी बढ़ती है. प्रेग्नेंट महिलाओं को इससे बहुत ज्यादा खतरा होता है.
  • हीटवेव से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और समय से पहले डिलीवरी या बच्चे के जन्म के समय कम वजन का भी खतरा रहता है.
  • जिन लोगों को शुगर, कोरोनरी और श्वास संबंधी दिक्कतें हैं, उनको खतरा और भी ज्यादा होता है. 
  • पहले से कमजोर बुजुर्ग और बच्चों को भी हीटवेव से खतरा होता है.
     

दिन में हो रही भीषण गर्मी से राहत के लिए रात में शरीर का तापमान ठंडा रहना चाहिए. लेकिन मौसम के बदलते दौर में रात में भी शरीर को ठीक से आराम ही नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से परेशानियां बढ़ रही हैं. हीटवेव से एंग्जायटी और टेंशन जैसी परेशानियां बढ़ने लगी हैं.

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हीटवेव क्या होती है?

जब किसी जगह का टेंपरेचर नॉर्मल से  5 डिग्री या उससे ज्यादा होता है तो गर्मी बढ़ने लगती है और लू चलने लगती है. यही स्थिति हीटवेव कहलाती है. मौसम विभाग के मुताबिक, मैदानी इलाकों में टेंपरेचर अगर 40 डिग्री या फिर इससे ज्यादा होता है तो यह हीटवेब के कैटेगरी में काउंट होता है. वहीं बात अगर पहाड़ी जगहों की करें तो यहां पर टेंपरेचर 30 डिग्री से ज्यादा होने पर हीटवेब की कैटेगरी में आता है. रेड अलर्ट की स्थिति तब पैदा हो जाती है, जब यह तापमान 7 डिग्री या इससे ज्यादा बढ़ जाए.

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हीटवेव से कैसे करें बचाव?

  • हीटवेव से बचने के लिए जितना हो सके सूरज की तपन में बाहर जाने से बचें.
  • बाहर जाना अगर जरूरी है तो अपने चेहरे और सिर को कॉटन के किसी हल्के रंग के कपड़े से कवर जरूर करें.
  • बॉडी टेंपरेटर को नॉर्मल रखने के लिए पानी ज्यादा से ज्यादा पियें. 
  • संभव हो तो पानी में नमक और चीनी मिलाकर घोल बना लें, उसे थोड़ी-थोड़ी देर पर पीते रहें, जिससे सोडियम की कमी बॉडी में न हो.
  • गर्मी के मौसम में पानी वाले फल जैसे खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.
  • तपती गर्मी में अगर बाहर जा रहे हैं तो छाता साथ लेकर निकले जिससे सूरज की किरणें सीधे आपके शरीर पर न आए.
     

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