Haryana Elections 2024 हरियाणा में सरकारी 'नौकरियों में भर्ती' बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है. 'बिना खर्ची बिना पर्ची' के मामले में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. सरकार बनने पर दोनों ही पार्टियों ने दो लाख सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है. वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के शासनकाल में रिश्वत देकर नौकरियां लगती थीं. लेकिन भाजपा की सरकार में बिना कुछ खर्च किये काबीलियत पर युवाओं को नौकरियां मिल रही हैं.
सोनीपत के गन्नौर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप शर्मा ने हाल ही में अपनी एक सभा के दौरान विवादास्पद बयान दिया, '...जब हमारी सरकारी थी, तब भी हमने भर्ती किया था, लेकिन इस बार आपके गांव का कोटा 20 से 25 फीसदी तक बढ़ाएंगे.' कुलदीप शर्मा हुड्डा सरकार में स्पीकर रह चुके, उनका ये बयान सेशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
लेकिन कुलदीप शर्मा अपने इस बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में नहीं, बल्कि बीजेपी शासन में भ्रष्टाचार हुआ है. कुलदीप शर्मा अपने बयान को लेकर कहते हैं, 'अगर बीजेपी के कार्यकाल में इतनी ही पारदर्शी तरीके से भर्ती हुई हैं, तो क्यों परीक्षाएं रद्द हुई गईं? इनके शासनकाल में सूटकेस पहुंचाकर भर्ती होती है.'
बीजेपी हरियाणा चुनाव में बिना खर्ची बिना पर्ची का नारा जोरशोर से उठा रही है. हरियाणा सरकार में हुई करीब दो लाख भर्तियों को लेकर बीजेपी का दावा है कि भर्ती प्रक्रिया में कोई भी सिफारिश और पैसा नहीं लिया है. पारदर्शी तरीके से भर्तियां हुई हैं. इसका जिक्र बीजेपी के नेता अपनी तमाम रैलियों में करते हैं. गन्नौर से बीजेपी उम्मीदवार देवेंद्र कौशिक का आरोप है, 'कांग्रेस भष्टाचार से भरी हुई है, पहले हुड्डा पैसा लेकर भर्तियां करते थे, लेकिन अब बीजेपी ने सब बंद करवा दिया है. गरीबों के बच्चों को नौकरी मिली है.
भारतीय जनता पार्टी के नेता अशोक तंवर चुटकी लेते हुए कहते हैं, 'चुनाव खत्म नहीं हुए हैं और कांग्रेस के नेता अभी से ही पर्ची और खर्ची सिस्टम से पैसा लेने का ऐलान करने लगे हैं. इनसे होशियार रहिए. ये फिर पैसा लेकर भर्ती करने के तरीके खोजने लगे है.'
बीजेपी अपने 10 साल के कार्यकाल में शिक्षक से लेकर पुलिस भर्ती समेत करीब 1 लाख 47 हजार पद पर भर्ती की है. बीजेपी ने इस बार इसी भर्ती पारदर्शी तरीके से कराने की अपनी उपलब्धि को 'बिना पर्ची, बिना खर्ची' नौकरी का नारा दिया है. आम लोगों की इस मुद्दे पर मिली-जुली राय देखने को मिल रही है. हरियाणा के एक निवासी का कहना है कि इस बार गरीबों के बच्चों की नौकरी लगी है. कोई पैसा नहीं लगा है, जिसने तैयारी की उसको नौकरी मिली है. वहीं, एक अन्य शख्स का कहना है कि बच्चों को बेलदारी में लगा रखा है. यही बिना खर्ची बिना पर्ची नौकरी है क्या? बेरोजगारी का आलम ये है कि पढ़े-लिखे लड़के सफाई कर्मी बनने को तैयार है.
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