मुंबई की एक सत्र अदालत ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के दौरान हुए बेस्ट बेकरी कांड के दो आरोपियों को मंगलवार को बरी कर दिया. बेस्ट बेकरी में भीड़ के हमले में 14 लोग मारे गए थे. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को सभी आरोपों से बरी कर दिया. बेस्ट बेकरी मामले में पहले चरण की सुनवाई के दौरान चश्मदीद गवाहों ने कुछ आरोपियों द्वारा निभायी गयी भूमिका की गवाही थी. उसी के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया गया था.
अदालत ने कहा कि इस मामले में इन दो आरोपियों के खिलाफ ऐसी कोई स्पष्ट गवाही नहीं सामने आयी. गोधरा ट्रेन अग्नि कांड के दो दिन बाद एक मार्च 2002 को भीड़ ने वडोदरा में बेस्ट बेकरी पर हमला किया था और उसे आग के हवाले क दिया था जिसमें 14लोगों की मौत हो गई थी. भीड़ ने वहां शरण लिये मुसलमानों को निशाना बनाया था जिनमें बेकरी के मालिक शेख परिवार भी शामिल था.
वडोदरा की एक अदालत में 2003 में मामले में सुनवाई के बाद सभी 21 लोगों को बरी कर दिया गया था. बाद में गुजरात उच्च न्यायालय ने भी इनके बरी होने की पुष्टि की थी. पीड़ितों में से एक जाहिरा बीबी शेख ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के साथ फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. उच्चतम न्यायालय ने वर्ष2004 में मामले की दोबारा पुलिस से दोबारा जांच और गुजरात के बजाय महाराष्ट्र की अदालत में नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था.
मुंबई की सत्र अदालत ने फरवरी 2006 में 17 लोगों में से नौ को दोषी करार दिया था. बंबई उच्च न्यायालय ने 2012 में उन दोषियों में से पांच को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था लेकिन चार अन्य की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था. निचली अदालत ने इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सोलंकी और गोहिल को बेस्ट बेकरी मामले में फरार दर्शाया गया था क्योंकि वे अजमेर विस्फोट मामले में सुनवाई का सामना कर रहे थे.
विस्फोट मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद इन दोनों को 2017 में मुंबई की अदालत में पेश किया गया. दो अन्य आरोपियों की पुनर्सुनवाई के दौरान मौत हो गयी. सोलंकी और गोहिल के वकील प्रकाश सालसिंकर ने कहा कि उनके मुवक्किलों के बरी होने की उम्मीद थी क्योंकि इन दोनों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था. उन्होंने कहा कि दोनो यहां आर्थर रोड जेल में है और उम्मीद है कि औपचारिकताएं पूरी होने पर एक -दो दिनों में वे जेल से बाहर आ जायेंगे.
बेस्ट बेकरी नरसंहार गुजरात में 27 फरवरी, 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में भीड़ द्वारा आग लगा दिये जाने के फैली सांप्रदायिक हिंसा का हिस्सा था. ट्रेन में आग लगाने की घटना में 56 लोगों की जान चली गयी थी.
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