लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) प्रचार के खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तमिलनाडु पहुंचे हैं और कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल (Vivekananda Rock Memorial) के ध्यान मंडपम में उनकी साधना चल रही है. हालांकि विवेकानंद रॉक मेमोरियल को बनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन जनरल सेक्रेटरी एकनाथ रानाडे की बड़ी भूमिका थी. वहीं समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक के लिए कन्याकुमारी की सियासी अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है. पीएम मोदी की साधना पर रवीश रंजन शुक्ला की ग्राउंड रिपोर्ट.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 45 घंटे की ध्यान साधना कर रहे हैं. दक्षिण भारत के सुदूर कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में पीएम मोदी के लिए यह बेहद एकांत के पल हैं.
उन्होंने सुबह भगवान सूर्य को जल चढ़ाया और फिर पूजा करके साधना में लीन हो गए. भौतिक जीवन की माया और आध्यात्मिक जीवन की साधना के सामंजस्य की तस्वीरें सामने आई हैं.
इन तस्वीरों में गेरुए वस्त्र पहने पीएम मोदी का किसी संन्यासी की तरह हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की लहरों के बीच एकांतवास जारी है. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कन्याकुमारी पहुंचकर सबसे पहले माँ भगवती अम्मन मंदिर में दर्शन किए.
माना जाता है कि यह मंदिर करीब तीन हजार साल पुराना है. पीएम मोदी ने यहां पर बीस मिनट पूजा-अर्चना की और फिर बोट के जरिए विवेकानंद रॉक मेमोरियल के लिए रवाना हो गए.
प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार के बाद पहले भी आध्यात्मिक यात्रा पर जाते रहे हैं. 2019 के चुनाव प्रचार के बाद प्रधानमंत्री ने केदारनाथ के गरुड़ चट्टी में ध्यान लगाया था और इस बार कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे हैं, लेकिन स्वामी विवेकानंद से उनका नाता क्या है, इस बारे में आम लोगों की अलग अलग राय है.
आम लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और विवेकानंद जी के बचपन का नाम भी नरेंद्र था तो यहां से भारत को विश्व गुरु बनाने का एक नया संकल्प लेकर प्रधानमंत्री दिल्ली लौटेंगे. वहीं महिलाओं ने कहा कि मोदी के रहते भारत विकसित देश बनेगा.
इस तरह से बना था विवेकानंद रॉक मेमोरियल
हालांकि लेकिन क्या बीजेपी वैचारिक तौर पर विवेकानंद के नजदीक है. इसकी जानकारी लेने के लिए एनडीटीवी ने कन्याकुमारी के विवेकानंद आश्रम के मीडिया प्रकोष्ठ के संयोजक कृष्ण कुमार से मुलाकात की. वो इस आश्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसंघ संचालक एकनाथ रानाडे की समाधि दिखा कर बताते हैं कि कैसे पूरे देश भर के 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों से एक से पांच रुपए चंदा लेकर विवेकानंद रॉक मेमोरियल को बनाया गया, जबकि इस दौरान कई विरोध भी झेलने पड़े. वो बताते हैं कि सीधे तौर पर विवेकानंद आश्रम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है, लेकिन भारत के दर्शन और आध्यात्म को दुनिया भर में फैलाने का काम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं.
कृष्ण कुमार ने कहा कि विवेकानंद आश्रम का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ जुड़ाव नहीं है, लेकिन इत्तेफाक था कि रानाडे जी ने विवेकानंद दर्शन को पढ़ा था और जब यहां मेमोरियल बनाने लगे तो संगठन के किसी आदमी की जरूरत थी जो लोगों में सामंजस्य बैठाकर इसे बनवा पाए, इसलिए स्थानीय लोगों ने खुद रानाडे के पास जाकर उनको इस काम से जोड़ा.
आध्यात्मिक दर्शन और विचारधाराओं का संगम
सुदूर दक्षिण के इस छोटे से कस्बे कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल के साथ ही महात्मा गांधी का स्मारक और पवित्र भगवती अम्मन मंदिर के साथ मशहूर कवि तिरुवल्लुवर की मूर्ति मौजूद है. इससे पता चलता है कि हजारों साल से यहां कई आध्यात्मिक दर्शन और विचारधाराओं का संगम होता रहा है. पीएम मोदी की साधना शनिवार शाम को खत्म हो जाएगी, लेकिन उम्मीद है कि वो यहां से नया सामर्थ्य, नई सोच और सामंजस्य के साथ विकसित भारत बनाने का मजबूत इरादा लेकर लौटेंगे.
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