विज्ञापन

4 इंच की दीवारें, कमरे में सीलन, दरवाजे पर दस्तक देती मौत... UPSC कोचिंग ले रहे छात्रों की आपबीती

फिल्म 12th फेल में छात्रों को UPSC निकालने का मंत्र देने वाले गुरु विकास दिव्यकीर्ति के खुद को कोचिंग इंस्टीट्यूट्स का हाल भी कुछ कम बुरा नहीं है. तैयारी कर रहे छात्रों ने बताया कि दृष्टि का क्या हाल है.

4 इंच की दीवारें, कमरे में सीलन, दरवाजे पर दस्तक देती मौत... UPSC कोचिंग ले रहे छात्रों की आपबीती
UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों ने खोली मुखर्जी नगर की पोल.
दिल्ली:

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 3 UPSC छात्रों की मौत (UPSC Students Death)  के बाद दूसरी जगहों पर बेसमेंट में चल रहे कोचिंग क्लासेज और लाइब्रेरी पर सवाल उठने लगे हैं. सविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे छात्र इन बेसमेंट्स में पढ़ने को भले ही मजबूर हों, लेकिन अब छात्रों का गुस्सा फूटने लगा है. मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों ने यहां का हाल-ए-बयां किया है.  फिल्म 12th फेल में छात्रों को UPSC निकालने का मंत्र देने वाले गुरु विकास दिव्यकीर्ति के खुद को कोचिंग इंस्टीट्यूट्स का हाल भी कुछ कम बुरा नहीं है. यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र एकांश प्रताप सिंह अरमान मलिक और मनीष ने एनडीटीवी को बताया कि UPSC कोचिंग हल मुखर्जी नगर में रहना कितना मुश्किल भरा है.

ये भी पढ़ें-Exclusive: नाले पर बना दिया रैंप, फिर कहां से निकलता पानी? राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसे पर चौंकाने वाली रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के मुथरा के रहने वाले एकांश प्रताप सिंह पिछले चार सालों से मुखर्जी नगर में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं. एकांश का कहना है कि कोचिंग में क्षमता से तीन गुना ज्यादा स्टूंडेंट को दाखिला दिया जाता है. 

 "यहां सुविधा और साफ-सफाई की बात भूल जाइए... बरसात में जो ग्राउंड फ्लोर पर रहता है, उसके कमोड से गंदगी बाहर आ जाती है. छात्रों को बारिश में कमर तक पानी में चलना पड़ता है और एमसीडी सफाई के नाम पर गहरी नींद में सोया रहता है."

Latest and Breaking News on NDTV

"दिखाने के लिए होती है MCD की कार्रवाई"

हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले अरमान, पिछले पांच सालों से मुखर्जी नगर में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे है. यूपीएससी की तैयारी कर रहे अरमान मलिक ने कहा, "जब कोई घटना होती है तो यहां पर मीडिया की भीड़ लग जाती है. दिखाने के लिए एमसीडी कार्रवाई के नाम पर कोचिंग संस्थानों को सीज कर देता है. लेकिन कुछ दिन बाद फिर से सब कुछ सामान्य हो जाता है."

अरमान ने कहा, "ये कोई आज की समस्या नहीं है. ये पिछले कई सालों का सूरत-ए-हाल है. छात्र दूर-दराज से अपने सपने पूरे करने आते हैं, लेकिन सपनों के नाम पर उनको ठगा जाता है."

Latest and Breaking News on NDTV

"दो से ढाई लाख रुपए कोचिंग की फीस"

अरमान का कहना है कि यहां सिविल सर्विस की तैयारी के नाम पर छात्रों से कोचिंग संस्थान 1 से 1.50 लाख रुपए लेते हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. 1.50 लाख रुपए के अलावा ऑप्शनल विषय के लिए पचास हजार रुपए अतिरिक्त जमा करने होते हैं. इसके अलावा Mains की तैयारी के लिए अगर टेस्ट सीरीज जॉइन करना है तो 25 से 60 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं. यानी कुल दो से ढाई लाख रुपए का खर्च आता है.

"टीचर नहीं, मेंटर क्लीयर करते हैं डाउट"

पंजाब के पटियाला के रहने वाले मनीष का भी गुस्सा फूं प्री एग्जाम की टेस्ट सीरीज ज्वाइन करने के नाम पर छात्रों से 15 से 30 हजार रुपए लिया जाता है.

 मनीष दहिया ने कहा, "ढाई लाख रुपए देने के बाद भी हमें ठगा जाता है. हमारा टीचर से कोई इंटरेक्शन नहीं होता, अगर हमें क्लास के बाद सवाल पूछना हो तो उसके लिए मेंटर से संपर्क करना होता है. ये मेंटर कोई और नहीं बल्कि सिविल का प्री एग्जाम पास किए छात्र होते हैं."

उन्होंने कहा कि हर कोचिंग की फीस अलग है. अगर आप किसी कोचिंग का हिस्सा नहीं है तो टेस्ट सीरीज के लिए आपको इतना पैसा देना होगा.

Latest and Breaking News on NDTV

"मेल-फीमेल के लिए एक ही टॉयलेट"

मनीष ने कोचिंग सेंटरों की पोल खोलते हुए आगे कहा, "दृष्टि कोचिंग में कुल 8 हॉल हैं, जिसमें प्रति हॉल 100 से 150 छात्रों के बैठने की सुविधा है. लेकिन 250 से 300 छात्रों को बैठाया जाता है. हर फ्लोर पर एक ही टॉयलेट है. कुल मिलकर एक साथ दो से ढाई हजार स्टूडेंट पढ़ते हैं, लेकिन टॉयलेट 8 से 10 ही है. कई कोचिंग में तो मेल-फीमेल के लिए एक ही टॉयलेट है."

"अनगिनत इंस्टीट्यूट में बेसमेंट में क्लास और लाइब्रेरी चल रही"

एकांश प्रताप सिंह ने कहा, "अभी कुछ कोचिंग को सील किया गया है, लेकिन मुखर्जी नगर में अनगिनत इंस्टीट्यूट हैं, जहां बेसमेंट में क्लास और लाइब्रेरी बिना किसी रूकावट के चल रही है. उनके लोग एमसीडी और प्रशासन में बैठें हैं, और जब भी कोई कार्रवाई होनी होती है, तो इन्हें पहले ही सूचना दे दी जाती है."

वहीं, अरमान जब पूछा गया कि वो छात्रों के प्रदर्शन में क्यों नहीं शामिल हो रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "क्यों शामिल होना है? हम जानते हैं कुछ नहीं होगा...सब पैसा चलता है... कोचिंग मालिकों के लोग हर जगह हैं... आज बंद हुई कोचिंग कल फिर खुल जाएगी... हम तो यहां पढ़ने आएं है... हमारे पास कोई विकल्प नहीं हैं... जो भी समय है, उसे पढ़ाई में खर्च करना है."

अरमान ने कहा कि  मेरे पिता ने बहुत मेहनत से यहां पढ़ने भेजा है. उनकी मेहनत और सपने को जाया नहीं होने दे सकता.अब जो भी स्थिति हो... लेकिन हमें इन्हीं स्थितियों में पढ़ाई करनी है.

Latest and Breaking News on NDTV

"मकान और पीजी मालिकों ने बढ़ाई परेशानी"

एकांश का कहना है कि "क्लास में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. हम तो हर तरफ से मारे जा रहे हैं. एक तरफ कोचिंग वाले ठगते हैं तो दूसरे तरफ रूप और पीजी मालिकों ने परेशान कर रखा है. यहां किराए पर कमरा या पीजी लेना है तो पहले ब्रोकर को पैसा देना होगा, तभी कुछ होगा."

वहीं, मनीष ने बताया, "शुरुआत में हमें एक महीने के एडवांस के साथ एक महीने की सिक्योरिटी राशि और किराए का आधा या उसके बराबर ब्रोकर को पैसा देना होता है. हम अगर बाद में कमरा छोड़ते हैं तो सिक्योरिटी वापस नहीं की जाती है."

उन्होंने कहा कि आप नेहरू विहार में जाकर देखिए क्या स्थिति है? सुविधा के नाम पर किस तरह से ठगा जा रहा है. एक तख्त और एक मेज रखने भर के कमरे का किराया आठ से दस हजार है. बिजली का 8 रूपए यूनिट बिल अलग से है. इन इलाकों में आने-जानें का रास्ता इतना खराब है कि कभी भी कुछ हो सकता है. हमारे कमरो में ठंडी में धूप की रोशनी तक नहीं आती है. गर्मी में सीलन और नाले के पानी ने परेशानी अलग ही बढ़ा रखी है.

"हर वक्त, दरवाजे पर दस्तक देती है मौत"

अरमान ने कहा, "पास में ही गांधी विहार का इलाका है, वहां 25 गज कमरे की कीमत 7 से 10 हजार रुपए है. पीजी लेने जाएं तो 12 हजार किराया और फ्लैट 25 हजार रुपए तक है. पीजी में दो वक्त का खाना मिलता है, लेकिन उसे खाना कितना मुश्किल है, वो देखेंगे तो समझ आएगा. खाना भी बहुत गंदगी से बनाया जाता है. कमरे में बिजली के तार खुले हैं. हमारी मौत हर वक्त, दरवाजे पर दस्तक देती है, किस दिन किसका अंत हो जाए, ये पता नहीं."

"हर कमरे में सीलन, चार इंच की बनीं  दीवारें"

एकांश बताते हैं, "यहां शायद ही कोई कमरा मिले, जिसमे सीलन नहीं हो... और लगभग सभी कमरों की दीवार चार इंच (एक ईंट से बनीं हैं) की बनी हैं... यानी खतरा हर समय मंडरा रहा है."

वहीं, मनीष का कहना है, "हर बार नाले की सफाई और जलभराव को लेकर एमसीडी से शिकायत की जाती है, लेकिन उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती. अब तो हम भी हार कर शिकायत करना बंद कर चुके हैं."

Latest and Breaking News on NDTV

कोचिंग और कमरे के नाम पर माफियागिरी

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य छात्र ने कहा, "यहां कोचिंग और कमरे के नाम पर माफियागिरी चल रही है. इसके पीछे पूरा गिरोह काम करता है. यहां तक कि छात्रों को कई सामान भी महंगा मिलता है. लेकिन मजबूरी है क्या करें... कहां जाएं.. यहां तो लाइब्रेरी की फीस भी 15 सौ से दो हजार रुपए है. पर पढ़ाई के नाम पर सब देना पड़ता है."

छात्र ने बताया, "यहां दो- ढाई लाख रुपए कोचिंग की फीस देने के बाद खराब हालत में दस से बारह हजार रूपए एक छात्र का खर्चा है. लेकिन हमारे घर वाले इस उम्मीद में इसको दे रहे हैं कि उनके बच्चे अधिकारी बनेंगे पर कोचिंग और कमरा माफिया को इससे कोई मतलब नहीं है."

एकांश ने कहा, "ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना के बाद से अब हमारे माता-पिता भी डर रहे हैं. लेकिन हमारी मजबूरी है, हम यहां से जा नहीं सकते हैं. लेकिन जीवन का डर हर वक्त लगा रहता है." वहीं तीनों छात्रों ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया.

ये भी पढ़ें-विकास दिव्यकीर्ति चुप क्यों थे? इंटरव्यू में दिए सवालों के जवाब, बोले- मुझे 'बलि का बकरा' बनाया गया

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
ओडिशा: वेदांता ग्रुप की रिफाइनरी का बांध टूटने से भारी नुकसान, फसलें हुईं तबाह, कंपनी ने दी सफाई
4 इंच की दीवारें, कमरे में सीलन, दरवाजे पर दस्तक देती मौत... UPSC कोचिंग ले रहे छात्रों की आपबीती
CPM नेता सीताराम येचुरी का निधन, सांस लेने में दिक्कत के बाद AIIMS में हुए थे एडमिट
Next Article
CPM नेता सीताराम येचुरी का निधन, सांस लेने में दिक्कत के बाद AIIMS में हुए थे एडमिट
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com