दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में राव कोचिंग इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में हुई 3 छात्रों की मौत के मामले में कई परतें खुल रही हैं. इंस्टीट्यूट के मालिकों को लेकर अब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. ऐसे में अब इंस्टीट्यूट के मालिकों का बचना बेहद मुश्किल होगा. अगर ये रिपोर्ट सही है, तो कोचिंग संस्थान इस घटना के लिए मुख्यतौर पर दोषी है. दिल्ली पुलिस ने इस हादसे में कोचिंग सेंटर के मालिकों को भी आरोपी बनाया है. सभी आरोपी अभी पुलिस की हिरासत में हैं.
नाले को कर दिया ब्लॉक!
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की चौंकाने वाली रिपोर्ट में सामने आया है कि राजेंद्र नगर के नाले के ऊपर रैंप बना दिया गया, जिसके चलते पहले इस इलाके में पानी भरा फिर पानी बेसमेंट की ओर मुड़ गया. नाले को मार्बल और ग्रेनाइट से ब्लॉक कर रखा था. मेनहोल के मुख्य होल को भी बंद कर रखा गया था. ऐसे में नाले के सफाई का कोई रास्ता नहीं बचा था.
मंत्री सौरभ भारद्वाज की भूमिका पर भी सवाल
रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं. रिपोर्ट में लिखा है कि 2023 में ड्रेनेज को ठीक करने के लिए "दिल्ली में एनसीटी के लिए बाढ़ जल निकासी और जल निकासी अधिनियम" की फाइल अब तक नहीं तैयार हुई है. बताया जा रहा है कि करीब पांच महीने से ये फाइल सौरभ भारद्वाज के पास पड़ी है. इस एक्ट के तहत नालों पर अतिक्रमण करने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई थी.
दिल्ली के 18 नालों पर किया जाना है काम
साल 2023 में जब दिल्ली में मजनूं का टीला समेत कई इलाके डूबे थे, तब सभी ऐजेंसियों ने बैठकर एक ड्रैनेज सिस्टम को लेकर बात हुई थी. इसमें 18 नालों के मैनेजमेंट को लेकर रूपरेखा बनाई गई थी. मुख्य सचिव ने लिखा कि 21 अगस्त 2023 को एक निर्णय के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी गई और सौरभ भारद्वाज ने 2 फरवरी 2024 को सभी स्टॉक होल्डर से बात करने को कहा. विभाग ने तय किया कि दिल्ली के 22 खुले नालों को ठीक करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि 21 अगस्त 2023 से लेकर इस साल 8 अप्रैल तक फाइल मंत्री के पास पड़ी रही.
मास्टर ड्रेनेज प्लान दिल्ली के लिए बना था, लेकिन...
चीफ सेक्रेटरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान 1976 में बनाया गया, जिसे पूरे तरीके से 1980 में लागू किया गया. यही प्लान जिसमें की नई ड्रेन का कंस्ट्रक्शन वगैरा होना था, वो 1995 में लागू हुआ. 1995 से लेकर 2012 तक कोई नया ड्रेनेज मास्टर प्लान नहीं बनाया गया. 2012 में आईआईटी दिल्ली को एक नया प्लान बनाने को कहा. आईआईटी दिल्ली ने यह प्लान 2018 में सबमिट किया और इस प्लान को दिल्ली सरकार ने 2021 में एक्सेप्ट किया. लेकिन 6 सितंबर 2021 को दिल्ली सरकार के द्वारा अलग ड्रेनेज मास्टर प्लान नजफगढ़ बेसिन के लिए, बारापुला बेसिन के लिए और ट्रांस यमुना बेसिन के लिए बनाने की संतुति दी गई.
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