दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर में डूबने से तीन आईएएस की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की मौत के बाद मानदंडों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटर पर दिल्ली नगर निगम की कार्रवाई की जा रही है. इसी बीच दृष्टि आईएएस के संस्थापक और एमडी. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि दिल्ली में 1000 से अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं लेकिन उनमें से कई कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के पास फायर फाइटिंग डिपार्टमेंट का नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं है. एनओसी प्राप्त करने में आने वाली मुश्किलों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि फायर फाइटिंग डिपार्टमेंट कहता है कि चूंकि इमारत व्यावसायिक है, इसलिए सर्टिफिकेट व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए, जबकि एमसीडी एजुकेशनल सर्टिफिकेट की मांग कर रही है.
भारी बारिश के बाद बेसमेंट में भर गया था पानी
बता दें कि शनिवार की शाम हुई भारी बारिश के बाद दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के राव स्टडी सर्कल में यह घटना हुई थी. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में दिव्यकीर्ति ने कहा कि मंगलवार को उन्होंने दिल्ली के राज्यपाल से मीटिंग की है. इस मीटिंग में कुछ छात्र भी शामिल थे और कई सारे इंस्टीट्यूट के मालिक और दिल्ली के शीर्ष अधिकारी भी इसमें शामिल हुए थे. उनके अलावा डीडीए, एमसीडी, फायर डिपार्टमेंट और चीफ सेक्रेटरी भी मीटिंग में शामिल हुए थे.
फायर डिपार्टमेंट से एनओसी पर ये बोले दिव्यकीर्ति
उन्होंने कहा, "हमने जब फायर डिपार्टमेंट से सर्टिफिकेट मांगा तो उन्होंने कहा कि आप एमसीडी या फिर डीडीए के जरिए आइए. हमने इस बारे में भी मीटिंग में बात की. फायर डिपार्टमेंट ने हमें विश्वास दिलाया है कि वो एक ऐसा सिस्टम बनाएंगे जिसकी मदद से हमें सीधा उनसे ही सर्टिफिकेट मिल सके. यहां तक कि अगर हमें सर्टिफिकेट मिल भी जाता है तो उसमें लिखा होता है कि चूंकि बिल्डिंग व्यावसायिक है इसलिए सर्टिफिकेट भी व्यावसायिक जरूरतों के लिए है. वहीं, एमसीडी का कहना है कि सर्टिफिकेट एजुकेशनल होना चाहिए. मेरी जानकारी में किसी भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के पास एजुकेशनल बिल्डिंग सर्टिफिकेट नहीं है. केवल स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्याल ही हैं. यह भी 2020 के बाद हुआ है क्योंकि डीडीए के मुताबिक हम पहले एजुकेशनल कैटेगरी में नहीं आते थे, हम व्यावसायिक में ही आते थे. जीएसटी के अनुसार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अभी भी कमर्शियल कैटेगरी में आते हैं."
बेसमेंट में संस्थान चलाने पर दिव्यकीर्ति ने कही ये बात
उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में उन्हें बेसमेंट में संस्थान चलाने की अनुमति मिल भी जाती है तो वे ऐसा नहीं करेंगे तथा यह भी प्रयास करेंगे कि एक भी कोचिंग संस्थान बेसमेंट में न चले. डीडीए, एमसीडी और दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के मानदंडों में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "हमें एनओसी क्यों नहीं मिल रही है? डीडीए का मानना है कि यह एमसीडी का काम है और एमसीडी कहती है कि यह डीडीए का काम है. एमसीडी ने डीडीए को कई पत्र लिखे हैं और डीडीए ने भी कई पत्रों का जवाब देते हुए यहां तक कहा है कि उनके पास दस्तावेज नहीं हैं और आपको उन्हें देखना होगा. हाईकोर्ट में पिछली बैठक में डीडीए ने पहली बार कहा था कि वे एमसीडी को अधिकार दे रहे हैं और अब बुधवार को होने वाली सुनवाई में एमसीडी हमें अनुमति दे सकती है."
एमसीडी ने कई संस्थानों की बेसमेंट को किया सील
यहां आपको बता दें कि एमसीडी ने "अवैध रूप से संचालित संस्थानों" के खिलाफ कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में कई कोचिंग संस्थानों के बेसमेंट को सील कर दिया है. उन्होंने कहा, हम बेसमेंट सील किए जाने को लेकर पूरी तरह सहमत हैं. लेकिन दिल्ली मेट्रो भी बेसमेंट में चलती है, अंडरग्राउंड मेट्रो है, पाकिला बाजार भी बेसमेंट में है. यहां तक कि दिल्ली के हर बड़े मॉल में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बेसमेंट में है क्योंकि वहां बेसमेंट को सही तरह से बनाया गया है."
बेसमेंट में नहीं चलने चाहिए कोचिंग सेंटर
इस बात पर सहमति जताते हुए कि कोचिंग सेंटर्स बेसमेंट में नहीं चलाए जाने चाहिए, उन्होंने कहा, "मैं ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं कि हमने बेसमेंट का पूरा लेआउट स्ट्रक्चर एमसीडी, डीडीए और फायर डिपार्टमेंट को एनओसी के लिए भेजा था और अभी तक उस पर किसी की ओर से कोई आपत्ति नहीं आई है. हालांकि, इसके बाद भी 3 दिन पहले हुए हादसे को देखते हुए मेरा मानना है कि यह हमारी लापरवाही है. हमने कभी इस बारे में नहीं सोचा और मैं खुल कर बोल रहा हूं फिर चाहे आगे चलकर हमें बेसमेंट में काम करने की इजाजत ही क्यों न मिल जाए... मैं आश्वसान देता हूं कि कोई भी कोचिंग सेंटर बेसमेंट में नहीं चलना चाहिए."
खुद को निशाना बनाए जाने पर दिव्यकीर्ति ने कही ये बात
जब उनसे पूछा गया कि कोचिंग सेंटर त्रासदी में उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है, तो दिव्यकीर्ति ने कहा कि हर कोई एक बलि का बकरा चाहता है क्योंकि इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं. उन्होंने कहा, "मुझे इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इस तरह के मामलों में हर किसी को बलि का बकरा चाहिए होता है. इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं और उन्हें लगता है कि वो सुरक्षित हैं, वो एक इंसान को सफर करने देते हैं और यहां तक कि सोसाइटी को भी लगता है कि उन्हें उनका आरोपी मिल गया है... इस वक्त पर स्टूडेंट्स इमोशनली काफी परेशान हैं और उनका मुझसे नाराज होना जायज भी है... 50 से अधिक इंस्टीट्यूट को सील किया गया है, जिसमें से एक हमारा भी है."
इस मामलें में चुप्पी साधने पर ये बोले दिव्यकीर्ति
जब पूछा गया कि उन्होंने अभी तक इस मामले पर कुछ कहा क्यों नहीं है तो दृष्टि आईएएस के फाउंडर ने कहा कि यह उनका स्वभाव है और वो बहुत एक्सप्रेसिव नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मेरा स्वभाव ऐसा ही है और मैं बहुत एक्सप्रेसिव नहीं हूं. 3 बच्चों की मौत हो गई है और यह बहुत दर्दनाक मौत थी. पिछले तीन दिनों ने हम जब भी घर पर बात करते हैं या फिर मैं सोने जाता हूं तो मेरे मन में एक छवि आती है और मुझे लगता है कि उन छात्रों ने क्या महसूस किया होगा, जब बेसमेंट के अंदर पानी भर रहा होगा... प्रोटेस्ट कर रहे छात्र जो भी कह रहे हैं वो पूरी तरह से सही है. मुझे अच्छा लगा कि मैं आज 3-4 छात्रों से मिला. हमने दिल्ली के राज्यपाल से मीटिंग की."
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