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This Article is From Oct 21, 2019

आर्थिक मोर्चे पर सरकार को फिर लग सकता है झटका, टैक्स कलेक्शन में गिरावट के संकेत

सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर है. इस साल उसकी कुल कमाई दो लाख करोड़ तक घट सकती है.

आर्थिक मोर्चे पर सरकार को फिर लग सकता है झटका, टैक्स कलेक्शन में गिरावट के संकेत
पिछले महीने कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती से सरकार ने 1.45 लाख करोड़ राजस्व की कमाई छोड़ी थी
नई दिल्ली:

सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर है. इस साल उसकी कुल कमाई दो लाख करोड़ तक घट सकती है. इस साल टैक्स कलेक्शन के अनुमान यही बता रहे हैं. 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया, उसमें करीब 25 लाख करोड़ की कमाई का अनुमान दिखाया था. लेकिन अब न सिर्फ अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी घट रही है बल्कि सरकार की कमाई भी गिरती जा रही है. बजट के मुताबिक 2019-20 में टैक्स से होने वाली कुल कमाई 24.6 लाख करोड़ रहने का अनुमान था. पिछले महीने कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती से सरकार ने 1.45 लाख करोड़ राजस्व की कमाई छोड़ी थी. फिर पिछले महीने सितंबर में जीएसटी से कमाई घटकर 91,916 करोड़ रह गई जोकि पिछले 19 महीनों में सबसे कम है और मासिक औसत से करीब 10 हज़ार करोड़ कम है. 

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अगर अर्थव्यवस्था इसी रफ्तार से घटती रही तो अगले 6 महीने में जीएसटी से अनुमानित कमाई 50 हज़ार करोड़ तक घट सकती है. यानी सिर्फ कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और जीएसटी कलेक्शन में कमी की वजह से 2019-20 में सरकार की कुल कमाई अनुमान से करीब 2 लाख करोड़ तक कम रह सकती है. जानकार मानते हैं कि ये कमी और बड़ी हो सकती है. प्रो. अरूण कुमार, अर्थशास्त्री ने एनडीटीवी से कहा, 'सरकार की कमाई अनुमान से पौने तीन लाख करोड़ तक कम हो सकती है, इसका सीधा मतलब है कि आने वाले दिनों में सरकार को खर्च कम करना होगा या फिर एक राजनीतिक फैसला लेना होगा कि फिसकल डेफिसिट सीमा से ज़्यादा बढ़ाई जाए. खर्च कम करने के मतलब होगा कि पब्लिक इन्वेसमेन्ट घटेगा, अर्थव्यवस्था और सुस्त होगी"

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हालांकि एनडीटीवी से बातचीत में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने पिछले गुरुवार  को दावा किया था कि अर्थव्यवस्था इस साल की दूसरी छमाही से सुधरने लगेगी. लेकिन IMF की चीफ इकोनोमिस्ट गीता गोपीनाथ मानती हैं कि अर्थव्यवस्था का टर्नअराउंड 2020 में होगा. गीता गोपीनाथ, चीफ इकानामिस्ट, आईएमएफ ने एनडीटीवी से कहा, "2019 के लिए हमने भारत की आर्थिक विकास दर का पूर्वानुमान काफ़ी कम करते हुए 6.1% कर दिया. लेकिन हमें लगता है कि 2020 में विकास दर का सुधार होगा और ये 7% हो जाएगी". लेकिन सरकार के सामने पहला सवाल तो यही होगा कि करीब 2 लाख करोड़ का जो बजट कम हो रहा है, उसकी भरपाई वो कैसे करे. 

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