केंद्र सरकार (Central government) ने शुक्रवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि एमबीबीएस (MBBS) करने के लिए विदेश जाने वाले स्टूडेंट्स (Students) का डेटा केंद्र सरकार अपने पास नहीं रखती. लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि विदेश के चिकित्सा संस्थान से चिकित्सा योग्यता हासिल करने वाले लोगों को भारत में प्रेक्टिस करने से पहले (एफएमजीई) में उत्तीर्ण होना आवश्यक है. भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए पंजीकरण कराने के लिए ऐसा करना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि मेडिकल इंस्टीट्यूशन रेगुलेशन, 2002 के क्लॉज 8 (iv) में कहा गया है कि कोई भी भारतीय नागरिक या भारत का विदेशी नागरिक जो मई 2018 को या उसके बाद भारत के बाहर किसी मेडिकल संस्थान से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता प्राप्त करना चाहता है, उसे अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय पात्रता (नीट) में अर्हता प्राप्त करनी होगी.
मंत्री ने कहा कि "एनईईटी के परिणाम को ऐसे व्यक्तियों के लिए पात्रता प्रमाण पत्र के रूप में माना जाएगा और एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) से अलग अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. इसलिए, एमबीबीएस करने के लिए विदेश जाने वाले छात्रों का डेटा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है. संसद में वह इस सवाल का जवाब दे रही थीं कि क्या केंद्र के पास विदेशों में पढ़ रहे मेडिकल छात्रों का डेटा है. क्या भारत में अभ्यास करने के लिए विदेश में पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्रों के लिए कोई पात्रता परीक्षा है.
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