
गोवा के चर्चित ज़मीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी की पणजी ज़ोनल टीम ने इस घोटाले के मास्टरमाइंड माने जा रहे रोहन हर्मालकर को 3 जून 2025 को गिरफ्तार किया. ये गिरफ्तारी PMLA के तहत हुई है. 4 जून को रोहन को मापुसा स्थित PMLA कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे 14 दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है यानी अब वह 18 जून तक ईडी की कस्टडी में रहेगा.
कैसे फूटा घोटाले का भांडा
ईडी की जांच गोवा पुलिस की ओर से दर्ज की गई कई FIRs के आधार पर शुरू हुई. इन शिकायतों में रोहन हर्मालकर और उसके साथियों पर गंभीर आरोप लगे हैं. जैसे ज़मीन हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज़ बनाना, असली मालिकों की पहचान छुपाना, राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करना और सरकारी स्टांप की नकल करना.
जिन ज़मीनों को निशाना बनाया गया, वे पहले से ही किसी व्यक्ति या परिवार की संपत्ति थीं. लेकिन इनकी बिना इजाज़त या जानकारी के बिक्री कर दी गई, जिससे असली मालिकों को काफी नुकसान और मानसिक तनाव झेलना पड़ा.
कहां-कहां की ज़मीनें थीं निशाने पर
ईडी की टीम ने 24 अप्रैल 2025 को कई जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें गोवा के टूरिज़्म हॉटस्पॉट जैसे अंजुना, अर्पोरा और असगांव इलाके शामिल थे. ये ज़मीनें लाखों स्क्वायर मीटर में फैली हुई थीं और इनकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. छापों के दौरान बड़ी संख्या में जाली कागजात, फर्जी सेल डीड्स और ज़मीन से जुड़े रिकॉर्ड बरामद हुए थे. इन सबमें रोहन हर्मालकर की सीधी भूमिका सामने आई.
गिरफ्तारी से पहले था फरार
जांच शुरू होने के बाद से ही रोहन हर्मालकर फरार चल रहा था. ईडी की टीम उसकी तलाश में लगातार लगी हुई थी. आखिरकार 3 जून को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. अब ईडी की कस्टडी में उससे पूछताछ हो रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में और कौन-कौन लोग शामिल थे, कितनी ज़मीनें बेची गईं और ब्लैक मनी को कैसे सफेद किया गया, ईडी ने बताया है कि अभी जांच जारी है और आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और नाम सामने आ सकते हैं. हो सकता है कुछ और बड़े चेहरे भी इस रैकेट में शामिल हों.
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