Click to Expand & Play
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को लेकर अपने फैसले पर दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार और गे राइट संगठनों ने रिव्यू−पिटीशन दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया।
इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से उस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को गैर-कानूनी करार दिया गया था।
4 साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को रद्द करने का फैसला सुनाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को इस फैसले को पलट दिया। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत केन्द्र सरकार के कई मंत्रियों ने सवाल उठाए थे।
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने समीक्षा याचिका पर सुनवाई के दौरान इसे खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें उसने समलैंगिकता के मुद्दे को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 से बाहर कर दिया था। इसके तहत समान लिंग वाले दो व्यस्कों के बीच सहमति से बनने वाले यौन संबंध को अपराध माना गया है।