इस गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर जो महिला दस्ते कर्तव्य पथ पर दिखेंगे, उनमें सीआईएसएफ (CISF) का दस्ता भी होगा. सीआईएसएफ के दस्ते में 148 महिलाएं हैं और इनके बैंड में भी 84 महिलाएं होंगी. ऐसा पहली बार है, जब सीआईएसएफ की पूरी नुमाइंदगी महिलाओं के हाथ में है. वैसे भी महिलाओं की सबसे ज़्यादा तादाद सीआईएसएफ में ही है.
CISF के गठन का मकसद
सीआईएसएफ में इस समय करीब 10 हज़ार महिलाएं हैं और इसकी कमान भी एक महिला के हाथ में ही है. वहीं, सीआईएसफ में कुल 170000 लोग हैं. दरअसल, सीआईएसएफ का गठन 1968 में एक अलग मकसद के लिए किया गया था. इस बल को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी थी. मगर समय के साथ सीआईएसएफ की ज़िम्मेदारी बढ़ती चली गई है.
दिल्ली मेट्रो से लेकर नोट प्रिंटिंग प्रेस की सुरक्षा तक की जिम्मेदारी
साल 2000 में सीआईएसएफ को हवाई अड्डों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मिली. 2001 में दिल्ली की सरकारी इमारत की हिफाजत का काम उसके पास आ गया. 2002 में ताजमहल की सुरक्षा का जिम्मा भी सीआईएसएफ को दे दिया गया. 2007 से दिल्ली मेट्रो की हिफाजत भी सीआईएसएफ के पास आ गई. आज की तारीख में सीआईएसएफ को कई और अहम संस्थानों की सुरक्षा देखनी पड़ रही है. अब उसे एयरपोर्ट के अलावा ऐटमी एनर्जी, स्पेस इंस्टालेशन, सी पोर्ट, स्टील प्लांट, कोल फील्ड, थर्मल प्लांट, डिफेंस प्रोडक्शन यूनिट, ऐतिहासिक इमारतों, स्थानों, फर्टिलाइजर एंड केमिकल और नोट प्रिंटिंग प्रेस की जिम्मेदारी भी देखनी है.
संसद की सुरक्षा भी CISF के हवाले...
अब तो संसद की सुरक्षा भी सीआईएसएफ के हवाले होने वाली है. इसके साथ सीआईएसएफ 155 लोगों को वीआईपी सुरक्षा भी उपलब्ध करवाती है. मुंबई आतंकी हमले के बाद वह 11 निजी प्रतिष्ठानों की भी हिफाजत करती है. साथ ही सीआईएसएफ निजी संस्थानों को सिक्योरिटी कंसल्टेंसी सर्विसेज भी देती है. जब इतने सारे कामों की जवाबदेही आ जाए, तो महिलाओं को शामिल करना लाजिमी हो जाता है. कुल मिलाकर देश की सुरक्षा का जो पूरा ताना-बाना है, उसकी कल्पना सीआईएसएफ के बिना नहीं की जा सकती.
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