"बहुत खुश हूं...": राम मंदिर के लिए बेटे अरुण योगीराज की बनाई रामलला की मूर्ति के चयन पर मां

Ram Mandir Ceremony Today: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अरुण योगीराज कई पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण के काम से जुड़े हैं. उनके पूर्वज भी यही काम करते आये हैं.

नई दिल्‍ली :

मूर्तिकार अरुण योगीराज की मां, सरस्वती ने 22 जनवरी को "प्राण प्रतिष्ठा" समारोह के दौरान अयोध्या में स्थापित की जाने वाली अपने बेटे की राम लला की मूर्ति के चयन पर खुशी व्यक्त की है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को बताया कि मैसूर स्थित अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई राम लला की एक नयी मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है और 18 जनवरी को इसे रामजन्मभूमि तीर्थ पर गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.

अरुण योगीराज की मां ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं, यह पिछले छह महीने में उसने जो किया उसका सुखद परिणाम है... उसके पिता उसकी कला देखकर खुश होते."

18 जनवरी को गर्भ गृह में आसन पर मूर्ति...

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, उसे 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंदिर 20 और 21 जनवरी को आम लोगों के लिए बंद रहेगा और लोग 23 जनवरी से फिर से भगवान के दर्शन कर सकेंगे.

"महीनों तक परिवार का चेहरा नहीं देखा, फोन नहीं छुआ..." 

इससे पहले, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अरुण योगीराज के काम के बारे में जानकारी साझा करते हुए मूर्ति के निर्माण के दौरान मूर्तिकार की उल्लेखनीय एकाग्रता और बलिदान की प्रशंसा की. उन्‍होंने बताया, "मूर्ति बनाते समय काम में कोई विघ्न न आए इसके लिए उन्होंने महीनों तक अपने परिवार वालों से बात तक नहीं की... बच्चों का चेहरा भी नहीं देखा. प्रतिमा निर्माण कार्य के दौरान अरुण योगीराज ने जिस तरह अपना जीवन व्यतीत किया उसकी, आप कल्पना भी नहीं कर सकते. काम के दौरान उन्होंने महीनों तक फोन तक नहीं छुआ. यहां तक ​​कि वह अपने बच्चों और परिवार से भी बात नहीं करते थे."

चंपत राय ने कहा कि अरुण योगीराज कई पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण के काम से जुड़े हैं. उनके पूर्वज भी यही काम करते आये हैं. जानकारी के मुताबिक, उन्होंने ही केदारनाथ में शंकराचार्य की मूर्ति बनाई थी. उन्होंने दिल्ली में इंडिया गेट के नीचे सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बनाई है. 

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