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G 20 समिट से 1 घंटे पहले PM मोदी ने क्या कहा, चीन-रूस क्यों अड़े थे, अमिताभ कांत ने किताब में सब बताया

Amitabh Kant Book On G20 Summit: शिखर सम्मेलन के पहले दिन आम सहमति बनाना "कोई छोटी उपलब्धि नहीं" थी और भारत ने ये करके साबित कर दिया कि वो सभी को साथ लेकर चल सकता है. जानिए पर्दे के पीछे की कहानी...

G 20 समिट से 1 घंटे पहले PM मोदी ने क्या कहा, चीन-रूस क्यों अड़े थे, अमिताभ कांत ने किताब में सब बताया
Amitabh Kant Book On G20 Summit: अमिताभ कांत ने अपनी नई पुस्तक में जी 20 समिट से जुड़ी सभी घटनाओं और खासकर पीएम मोदी का जिक्र किया है.

Amitabh Kant Book On G20 Summit: जी20 शिखर सम्मेलन ने भारत की साख दुनिया भर में बढ़ा दी. मगर क्या ये इतना आसान था? दिल्ली में दुनिया भर के दिग्गज नेता आ चुके थे और केंद्र सरकार की नौकरशाही मशीनरी बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए ओवरटाइम काम कर रही थी, लेकिन शिखर सम्मेलन की सफलता एक प्रश्न पर निर्भर थी: क्या नेताओं की घोषणा में सर्वसम्मति होगी? और यही सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शिखर सम्मेलन शुरू होने से एक घंटे पहले शेरपा अमिताभ कांत से पूछा था.

क्यों सहमत नहीं थे सभी देश?

अमिताभ कांत ने 9 सितंबर 2023 की सुबह प्रधानमंत्री के साथ हुई इस महत्वपूर्ण बातचीत का वर्णन रूपा प्रकाशन से प्रकाशित अपनी पुस्तक "हाउ इंडिया स्केल्ड माउंट जी20: द इनसाइड स्टोरी ऑफ द जी20 प्रेसीडेंसी" में किया है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि कांत ने अपनी किताब में लिखा है, "प्रधानमंत्री तैयारियों का जायजा लेने भारत मंडपम पहुंचे थे. मुझे उन्हें अब तक की हमारी प्रगति के बारे में जानकारी देनी थी. जब उन्होंने नेताओं की घोषणा के बारे में पूछा, तो मैंने अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष की रूपरेखा तैयार की और उन्हें सूचित किया कि एनडीएलडी (नई दिल्ली नेताओं की घोषणा) को अभी भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. वह एक पल के लिए रुके और कहने लगे कि बहुपक्षीय बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों को क्यों उठाया जा रहा है, जवाब देने से पहले उन्होंने कहा कि वह प्रक्रियाओं या प्रक्रियाओं में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन परिणाम 'आम सहमति' बहुत जल्द देखना चाहते हैं." प्रधानमंत्री को उम्मीद थी कि शेरपा नेविगेट करेंगे और अंतिम समझौते को सुरक्षित करेंगे. 

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पुस्तक में उस कठिन समय का विवरण दिया गया है, जिसने शिखर सम्मेलन को सफल बनाया.प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दिन दूसरे सत्र की शुरुआत में 37 पेज की घोषणा और उसके बाद इसे अपनाने पर आम सहमति की घोषणा की थी.कांत ने अपनी पुस्तक में विस्तार से बताया है कि कैसे नई दिल्ली इस आम सहमति तक पहुंचने के लिए भूराजनीतिक धाराओं और द्विपक्षीय मुद्दों से निपटने में कामयाब रही.

अमिताभ कांत लिखते हैं, "250 से अधिक द्विपक्षीय बैठकों में 300 घंटे की बातचीत के बाद भी लगातार संशोधन और आपत्तियों का सामना करना पड़ा. वार्ता की गंभीरता को सभी प्रतिभागियों ने महसूस कर रहे थे, लेकिन पारस्परिक रूप से सहमत परिणाम की खोज अभी भी पहुंच से दूर लग रही थी." उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री को इसमें शामिल जोखिमों के बारे में "अच्छी तरह से जानकारी" थी और उन्होंने नियमित ब्रीफिंग के लिए कहा था. उन्होंने हर दो घंटे में तत्काल स्थिति की रिपोर्ट भेजने के लिए कहा था. ये एक ऐसा कार्य था, जिसमें अत्यधिक मल्टीटास्किंग और त्वरित विश्लेषण की आवश्यकता होती थी. इस निरंतर संचार से पीएम मोदी को सूचना तो पहुंच ही रही थी, लेकिन हम भी लगातार काम करने के लिए प्रेरित हो रहे थे और हमें बातचीत की योजना बनाने और जायजा लेने में मदद मिली.

कांत लिखते हैं कि रूस ने इस बात पर जोर दिया था कि 'सैंक्शन' शब्द को घोषणा में शामिल किया जाए. इस पर मनाने के लिए रूस के विदेश उप मंत्री अलेक्जेंडर पंकिन के साथ व्यापक चर्चा की गई.

रूस ऐसे माना

जोखिम बहुत बड़ा था, क्योंकि समझौता करने से इनकार करने पर रूस 19-1 वोट के साथ अलग-थलग पड़ जाता. हमें अंततः रूस को बताना पड़ा कि यह संभव नहीं है और अन्य देश इसे स्वीकार नहीं करेंगे. हमने इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है. कांत लिखते हैं, "हमने रूस को बताया कि इस मामले पर उसके आग्रह ने भारत पर महत्वपूर्ण दबाव डाला है और भारत के लिए आगे बढ़ना असंभव बना दिया है."

जी20 शेरपा ने किताब में लिखा है कि पूरी वार्ता के दौरान जी7 देशों - कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने भारत पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को आमंत्रित करने के लिए दबाव डाला, लेकिन भारत का रुख अतिथि सूची को जी20 नेताओं तक सीमित करने का था.

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डॉ. जयशंकर की सलाह पर, मुझे रूसी वार्ताकार को सूचित करना पड़ा कि यदि वे सहमत नहीं हुए, तो पीएम मोदी के भाषण के बाद पहले वक्ता ज़ेलेंस्की होंगे. यह साहसिक और मुखर वार्ता रणनीति अंततः काम कर गई और रूस झुक गया.

एक और बाधा थी. कांत लिखते हैं कि चीनी टीम के प्रमुख ने अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय चुनौती की ओर इशारा किया, जो घोषणा के एक हिस्से से उत्पन्न हुई थी, जिसमें कहा गया था कि 2026 जी20 शिखर सम्मेलन अमेरिका में आयोजित किया जाएगा. चीनी शेरपा ने समझाया कि अमेरिका उन्हें वीजा नहीं देगा, यहां तक ​​कि हांगकांग के उनके गवर्नर को भी नहीं. उनका कहना है कि जब तक उन्हें लिखित गारंटी नहीं मिल जाती कि उन्हें वीजा जारी किया जाएगा, तब तक वे भू-राजनीतिक प्रावधानों से सहमत नहीं होंगे.

चीन को इस तरह मनाया

नेताओं की बैठक सुबह 9 बजे शुरू हुई और कांत ने लीडर्स हॉल के बगल वाले कमरे में 9.30 बजे से 11.30 बजे तक समानांतर बातचीत की. उन्होंने लिखा है, "मैंने (यूएस शेरपा माइक) पाइले और ली (चीनी टीम के प्रमुख केक्सिन) के साथ मिलकर पत्र का विवरण तैयार किया. हमने 'गारंटी' के बजाय 'सुनिश्चित' शब्द का उपयोग करने का विकल्प चुना. दोपहर तक, हमने उन्होंने इस द्विपक्षीय मामले को सफलतापूर्वक हल कर लिया था, भले ही तकनीकी रूप से यह जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका के दायरे से बाहर था, उनका कहना है कि आखिरकार सभी देश इसमें शामिल हो गए. कांत लिखते हैं कि शिखर सम्मेलन के पहले दिन आम सहमति बनाना "कोई छोटी उपलब्धि नहीं" थी और उन्होंने 2022 बाली सबमिट का उदाहरण दिया, जहां घोषणा पर बातचीत अंतिम घंटों तक खिंच गई थी.
 

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