वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election) पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी (SY Quraishi) ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि इस रिपोर्ट में कमेटी से एक साथ चुनाव कराने के तरीके के बारे में पूछा गया था. अब इस बारे में करीब 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट आई है. पीएम ने जब ये बात रखी थी तब कहा था कि इस पर नेशनल लेवल की डिबेट होनी चाहिए. 10 साल इस पर चर्चा हुई थी. रिपोर्ट बड़ी है, थोड़ा समय लगेगा पढ़ने मुझे भी जानना है कि इस रिपोर्ट में क्या है.
इसमें चुनौतियां क्या हैं? इस सवाल पर कुरैशी ने कहा कि फेडरल इश्यू, शुरू से यही रोड ब्लॉक था. हर स्टेट की अपनी अपनी राजनीति और स्थिति होती है. यानी अगर कहीं सरकार टूट रही है तो उसका असर दूसरी जगह क्यों आए. देश में पहले 11 साल एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन 11वें साल ऐसा क्या हुआ जो सरकार टूट गई. इसके बाद चुनाव एक साथ नहीं हुए. इसका क्या समाधान है, यही देखना होगा.
मिड टर्म चुनाव की स्थिति पर कुरैशी ने कहा कि ये तो होगा ही. पीएम ने कहा था तीनों टीअर का इलेक्शन एक साथ होगा, लेकिन तीसरे टीअर को हटा दिया गया. पहले दूसरे को मर्ज कर दिया. ये क्यों हुआ फिर?
2029 तक चुनाव आयोग एक साथ चुनाव करवा लेगा? इस पर कुरैशी ने कहा कि हां करवा लिया जाएगा. तीन गुना मशीनें चाहिए. अभी 20 लाख मशीनें हैं यानी 60 लाख चाहिए होंगी. उसके लिए 3-4 साल बनाने में लगेगा. EC के लिए तो अच्छी बात है कि एक बार इलेक्शन करवाओ.
इस मामले पर सहमति को लेकर क्या कहेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसमें कई लीगल चीजें जो हो जाएं तो अच्छा होगा. बस जबरदस्ती न की जाए. ये देश पर थोपा ना जाए.
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