केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह सोमवार को मझगांव डॉक, मुंबई में डीप-सी फिशिंग वेसल्स (अत्यधिक गहरे समुद्र में मछली पकडऩे वाली नौकाओं) का उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, यह भारत के समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र के आधुनिकीकरण और तटीय क्षेत्रों में सहकारिता-आधारित विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
मोदी सरकार 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत कर सहकारिता क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह कार्यक्रम सहकारिता-आधारित गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा, जो आत्मनिर्भरता, स्थिरता और मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारिताओं को सशक्त बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है
महाराष्ट्र सरकार, एनसीडीसी और मत्स्य पालन विभाग से वित्तीय सहायता के साथ 1.2 करोड़ रुपये की इकाई लागत के साथ पीएमएमएसवाई के तहत गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज दिए जा रहे हैं. पीएमएमएसवाई और मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) समुद्री उत्पादों के लिए कोल्ड-चेन और मूल्य-श्रृंखला अवसंरचना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं
केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह कल मुंबई के मझगांव डॉक में अत्यधिक गहरे समुद्र में मछली पकडऩे वाली नौकाओं को वितरित करेंगे. इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार, तथा केंद्रीय राज्य मंत्री (सहकारिता) मुरलीधर मोहोल भी उपस्थित रहेंगे.
केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा लाभार्थियों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाओं की चाबियां सौंपना सहकारिता-आधारित गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा, जो आत्मनिर्भरता, स्थिरता और मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारिताओं को सशक्त बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभार्थियों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाएँ प्रदान की जा रही हैं. प्रत्येक नौका की लागत 1.2 करोड़ रुपये है, जिसमें महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और भारत सरकार के मत्स्य विभाग का वित्तीय सहयोग शामिल है. यह पहल मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत' के विज़न को साकार करने और ब्लू इकोनॉमी को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह भारत के समुद्री मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की क्षमता बढ़ाने और तटीय क्षेत्रों में सहकारी-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस योजना का उद्देश्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और हाई सीज़ में मत्स्य संसाधनों की खोज और दोहन को प्रोत्साहित करना है.
सहकारिताओं और एफएफपी के माध्यम से सहकारिता-आधारित गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की पहलों में तेजी लाने के लिए, भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग और भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के सहकारिता विभाग द्वारा एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया गया है.
भारत का समुद्री मत्स्य क्षेत्र परंपरागत रूप से सीमित स्तर पर संचालित होता रहा है, जहाँ मछुआरे पारंपरिक नौकाओं और तरीकों पर निर्भर रहते हैं. सामान्यतः वे तट से केवल 40 से 60 नॉटिकल मील की दूरी तक ही जाते हैं. इस सीमित परिचालन क्षेत्र के कारण मछली पकड़ने की मात्रा और आर्थिक लाभ दोनों ही सीमित रह जाते थे.
यह नई पहल मत्स्य सहकारी समितियों और एफएफपीओ को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और हाई सीज की विशाल क्षमता का स्थायी रूप से उपयोग करने के लिए सशक्त बनाएगी, विशेष रूप से लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में. इससे उच्च मूल्य वाली मछली प्रजातियोंजैसे ट्यूना (Tuna) के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलेंगी, जिससे भारत के सीफूड निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और तटीय क्षेत्रों की आजीविका को मजबूती मिलेगी.
मझगांव डॉक में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाओं का उद्घाटन भारत के समुद्री मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक और निर्णायक क्षण है. नई तैयार की गई ये नौकाएँ अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित हैं, जो समुद्री संसाधनों के सतत और जिम्मेदार दोहन को संभव बनाती हैं. डिजिटल प्रणालियों के एकीकरण से पता लगाने की क्षमता, सुरक्षा और परिचालन दक्षता में वृद्धि होगी जो पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम रखते हुए आर्थिक लाभ को अधिकतम करने में सहायक होंगी. इससे भारत की समुद्री मत्स्य प्रथाएँ वैश्विक जिम्मेदार मत्स्य मानकों के अनुरूप हो जाएंगी.
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मत्स्य सहकारी समितियों को सशक्त बनाना है, जो तटीय समुदायों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यह पहल फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन्स (एफएफपीओएस) और सहकारी समितियों के विकास और विस्तार को प्रोत्साहित करती है, ताकि वे आत्मनिर्भर संस्थाओं के रूप में कार्य कर सकें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पहल में महिला-नेतृत्व वाली सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है. यह मान्यता दी गई है कि तटीय समुदायों में समावेशी विकास, नेतृत्व और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.
यह आयोजन उन सरकारी योजनाओं और संस्थागत सहयोग तंत्रों के एकीकरण को भी रेखांकित करता है, जिनका उद्देश्य भारत के मत्स्य क्षेत्र के परिदृश्य को बदलना है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी योजनाएँ समुद्री उत्पादों के लिए कोल्ड-चेन और वैल्यू-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में अहम भूमिका निभा रही हैं. इससे मछली उत्पादों की गुणवत्ता, शेल्फ लाइफ और मार्केट वैल्यू में सुधार हो रहा है.इसके अतिरिक्त, बाजार पहुँच में सुधार, बेहतर मूल्य प्राप्ति और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मछुआरों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो.
अंततः, यह पहल भारत की ब्लू इकोनॉमी को आगे बढ़ाने और तटीय आजीविकाओं की सुरक्षा में मत्स्य सहकारी समितियों की रणनीतिक भूमिका को और सुदृढ़ करेगी. गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की इस पहल से तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे सामाजिक-आर्थिक उत्थान को बल मिलेगा. यह भारत के सीफूड निर्यात को भी बढ़ाएगी और देश की स्थिति को वैश्विक समुद्री व्यापार में और मजबूत करेगी. टिकाऊ मछली पकड़ने के तरीकों और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देकर, यह पहल समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के दीर्घकालिक स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए खाद्य और पोषण सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों का समर्थन करती है.
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