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This Article is From Nov 02, 2016

आत्महत्या करने वाले पूर्व सैनिक ने ओआरओपी के तहत फायदे पाए थे : रक्षा मंत्रालय के सूत्र

आत्महत्या करने वाले पूर्व सैनिक ने ओआरओपी के तहत फायदे पाए थे : रक्षा मंत्रालय के सूत्र
नई दिल्‍ली: रक्षा मंत्रालय सूत्रों की मानें तो 'ओआरओपी' को लेकर कथित तौर पर आत्महत्या करने वाले पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल संशोधित पेंशन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वालों में शामिल थे.

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, 'अभी तक सरकार को सुसाइड करने वाले जवान का लैटर नहीं मिला. जो सोशल मीडिया के जरिए मिला है, उसके मुताबिक, उनकी तीन डिमांड थीं. 6ठें वेतन आयोग का फायदा जवान को मिल गया था. ओआरओपी को लेकर सरकार में एक पेंशन प्रसार एजेंसी होती है. उसके तहत सरकार बैंक को पैसे देती है. साथ में पेंशन फिक्स करने का टाइम टेबल भी बैंक को करना होता है'.

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 'पता चला है कि उक्‍त व्‍यक्ति का अकाउंट एसबीआई, भिवानी में था. वहां पर बैंक की गलती से एक-दो हजार रुपये पेंशन उन्‍हें हर माह कम मिल रही थी. वेलफेयर सेल में अगर रिटायर्ड सैनिक शिकायत करते हैं तो वो इसको देखते हैं, लेकिन शायद रामकिशन ने सेल में कोई संपर्क नहीं किया. सातवें वेतन आयोग में अभी किसी को पेंशन की राशि नहीं दी गई है, क्‍योंकि एक-दो दिन पहले तो मंत्री ने आदेश दिया है, लेकिन प्रोसेस पूरा होने में वक्‍त लगता है. इसमें कई विभाग शामिल होते हैं'.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि ओआरओपी में विसंगति पर पूर्व सैनिकों की शिकायतों का हल करना एक प्राथमिकता है और ग्रेवाल की आत्महत्या की गंभीरता से जांच किए जाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि ग्रेवाल ने टेरीटोरियल आर्मी में छह साल 11 महीने सेवा दी, जिसके बाद वह रक्षा सुरक्षा कोर में रहे.

हालांकि, सूत्रों ने बताया कि वह ओआरओपी के हकदार थे. संशोधित पेंशन हासिल करने में देर बैंक में जोड़ घटाव में समस्या आने के चलते हुई. उनके अन्य सहकर्मियों की तरह उन्हें पूर्व सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ से संपर्क करना चाहिए था. उन्होंने बताया कि यदि उन्होंने सीधे मंत्रालय का रूख किया होता तो उनके मामले का हल भी सैकड़ों अन्य की तरह सौहार्दपूर्ण तरीके से हो जाता.

उन्होंने बताया कि 31 अक्तूबर की तारीख वाला उनका पत्र और एक नवंबर को उनकी आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं. इस बारे में गंभीर जांच किए जाने की जरूरत है कि मृतक के साथ कौन था, जब उन्होंने यह कठोर कदम उठाया. किसने उन्हें जहर मुहैया किया और क्या किसी ने उनकी मनोदशा का फायदा उठाकर इस कदम के लिए उन्हें उकसाया था.

मंत्रालय सूत्रों ने जोर देते हुए कहा कि पर्रिकर को ग्रेवाल की ओर से मिलने के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला था और ना ही उनके पत्र में ऐसी किसी चीज का जिक्र किया गया है. सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय और पर्रिकर ने खुद ऐतिहासिक ओआरओपी योजना को लागू करने के लिए शिकायतों के हल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. उन्होंने कहा कि मृत पूर्व सैनिक ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से न तो उनके कार्यालय में न ही घर पर मिलने का समय मांगा था.

इस बीच, पर्रिकर ने आज कहा कि सरकार पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इस योजना के तहत कुल 5,507.47 करोड़ रुपये बांटा गया है. (इनपुट भाषा से भी)

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