कोरोना महामारी के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) के एक दिवसीय सत्र में 90 मिनट में आठ बिल पारित किए गए. सदन में 78 विधायक उपस्थित थे और पहली बार 23 विधायकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सदन की कार्यवाही में भाग लिया. सुबह 11 बजे शुरू हुआ सत्र 12.30 बजे तक चला जिसमें धन विधेयक/विनियोग विधेयक सदन में प्रस्तुत किए गए, जिसके बाद मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक 2020 पारित हो गया. वहीं संसदीय कार्य मंत्री ने समस्त विभागों की अनुदान मांगों के प्रस्ताव को एक साथ प्रस्तुत किया.
गोविंद सिंह, मुख्य सचेतक कांग्रेस विधायक दल ने तथा नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा कराने का अनुरोध किया. इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने सर्वदलीय बैठक का उल्लेख किया. वहां इन बिन्दुओं पर चर्चा हुई है, आपत्ति पर विचार न करते अनुदान मांगें पारित की गईं. लगभग 90 मिनट तक सदन चलने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन में प्रवेश से पहले महामारी के दौरान दिशानिर्देशों के अनुरूप, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पल्स ऑक्सीमीटर के साथ परीक्षण किया गया, शरीर का तापमान भी जांचा गया. कोविड संक्रमण से उबर चुके मुख्यमंत्री ने सभी एहतियाती उपायों का पालन किया.
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा दोनों को बिना मास्क के सदन में देखा गया जो सभी विधायकों के लिए अनिवार्य हैं, दिल्ली में संसद के मानसून सत्र में भाग लेने वाले सांसदों के लिए भी मास्क को अनिवार्य किया गया है. दूसरे मंत्रियों और विधायकों ने भी मध्यप्रदेश विधानसभा भवन में प्रवेश करने से पहले आवश्यक परीक्षण करवाया.
सोमवार को विधानसभा का सत्र इसलिए भी जरूरी था क्योंकि नियमों के मुताबिक विधानसभा के किसी भी दो बैठकों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं हो सकता है. पहले सत्र तीन दिनों के लिए आहूत किया गया था.
सदन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि विपक्ष भी कोरोना से निपटने में सहयोग प्रदान करें, हम सब मिलकर इस महामारी से लड़ें और उसे परास्त करें. राज्य में रिकवरी रेट 77% है, आवश्यक ऑक्सीजन बेड और व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं. कोरोना की स्थिति की प्रतिदिन समीक्षा खुद कर रहे हैं, उपचार और रोगियों की देखरेख के सभी उत्तम प्रबंध किए गए हैं.
हालांकि नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने प्रदेश में कोरोना से पीड़ित लोगों के इलाज में अस्पतालों में भारी लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार निजी अस्पतालों पर निगरानी तंत्र विकसित करने के साथ ही जन शिकायतों के लिए एक “ जन शिकायत केंद्र “स्थापित करें ताकि पीड़ित लोग अपनी व्यथा सरकार तक पहुंचा सके.
इस बीच, गाडरवारा से एक कांग्रेस विधायक विधानसभा परिसर में अकेले धरने पर बैठी रहीं, वो एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरण की मांग कर रही थीं आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में वो अपराधियों को शरण दे रहे हैं.
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