
कोलकाता स्थित प्रवर्तन निदेशालय ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी से जुड़े एक मामले में बड़ी कार्रवाई की है. 31 मई 2025 को ED ने इस केस में आरोपी योगेश दुआ और अन्य के नाम जुड़ी करीब 10.08 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की हैं. साथ ही 2 जून को ED ने योगेश दुआ, चिराग कपूर और 11 अन्य के खिलाफ PMLA कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की है.
क्या था पूरा मामला?
ED की जांच कोलकाता साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक FIR के आधार पर शुरू हुई थी, जिसमें आरोप था कि कुछ लोग खुद को CBI, कस्टम्स, या अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी देते थे. वो फोन और व्हाट्सप्प कॉल के जरिए लोगों को डराते थे कि वे मनी लॉन्ड्रिंग में फंसे हैं और उनकी गिरफ्तारी या संपत्ति जब्त हो सकती है.
इस डर का फायदा उठाकर आरोपी लोगों से बड़ी रकम वसूलते थे. इसके लिए वे फर्जी दस्तावेज भी बनाते थे, जिन पर सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, कस्टम्स और सीबीआई जैसे संस्थानों के नकली लोगो लगे होते थे.
7 और साइबर फ्रॉड केस भी जुड़े
जांच के दौरान सामने आया कि इस गिरोह ने डिजिटल अरेस्ट, इन्वेस्टमेंट स्कैम, व्हाट्सप्प फ्रॉड जैसे 7 और मामलों को भी अंजाम दिया है. सभी मामलों में एक जैसे आरोपी और बैंक अकाउंट्स सामने आए, जिन्हें जोड़कर ED ने संयुक्त जांच शुरू की.
300 बैंक अकाउंट्स और इंटरनेशनल सिम
ED की जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने डमी लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए और कमीशन के बदले उनका इस्तेमाल किया. ये खाते ठगी से कमाए पैसे को इकट्ठा करने, घुमाने और छिपाने के लिए इस्तेमाल किए गए.
इतना ही नहीं सैकड़ों फर्जी सिम कार्ड भी लिए गए जिन्हें इंटरनेशनल रोमिंग पर एक्टिवेट करके विदेशों में भेजा गया, ताकि वहां बैठे साथी इन खातों को ऑपरेट कर सकें.
अब तक दो गिरफ्तार, जांच जारी
ED ने पहले ही 4 अप्रैल 2025 को दो मुख्य आरोपियों योगेश दुआ (दिल्ली निवासी) और चिराग कपूर उर्फ चिंतक राज (बेंगलुरु निवासी) को गिरफ्तार किया था. फिलहाल दोनों न्यायिक हिरासत में हैं. अब तक की तलाशी में कई डिजिटल सबूत और अहम दस्तावेज ED ने जब्त किए हैं.
भोपाल ED की बड़ी कार्रवाई, 2.98 करोड़ की 25 प्रॉपर्टी अटैच
उधर, भोपाल में प्रवर्तन निदेशालय ने डबल मनी स्कीम घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 2.98 करोड़ रुपये की 25 प्रॉपर्टी को अटैच किया है. ये कार्रवाई 6 जून को प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है. ED की जांच में सामने आया है कि कुछ लोगों ने भोले-भाले लोगों को पैसा दोगुना करने का लालच देकर उनसे मोटी रकम ऐंठ ली. शुरुआत में भरोसा जीतने के लिए कुछ लोगों को पोस्टडेट चेक भी दिए गए, लेकिन बाद में वो सारे वादे झूठे निकले. जब लोगों को उनका पैसा नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की.
इस घोटाले से जुड़ी तीन FIR बालाघाट जिले के दो थानों में दर्ज की गई थीं. FIR में कई लोगों के नाम थे, जिन पर BUDS Act, 2019 और IPC की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. इसके बाद ED ने इस मामले में अपनी जांच शुरू की.
ठगी के पैसों से जमीन और मकान खरीदे
ED की जांच में पता चला कि जिन लोगों ने जनता से पैसे लिए, उन्होंने वो पैसा अपने नाम, परिवार के लोगों के नाम और अपने एजेंट्स के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने में लगाया. यह पैसा सीधे नकद या उनके फर्म के बैंक खातों में लिया गया था. अब ED ने उन्हीं प्रॉपर्टियों को अटैच कर लिया है. फिलहाल ED ने साफ कहा है कि जांच अभी जारी है और आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं. जरूरत पड़ी तो और भी संपत्तियों को अटैच किया जा सकता है.
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