
- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में रावण को महाशिवभक्त माना जाता है, इसलिए वहां रावण दहन नहीं होता.
- उज्जैन, मंदसौर और गौतमबुद्ध नगर के कुछ हिस्सों में रावण की पूजा और सम्मान की परंपरा दशहरे पर प्रचलित है.
- महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में आदिवासी समुदाय विजयदशमी पर रावण को कुल देवता मानकर उसे श्रद्धांजलि देते हैं.
आज दशहरा है. नौ दिनों तक शक्ति स्वरुप मां दुर्गा की पूजा के बाद आज बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य की जीत का दिन है. पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि 01 अक्टूबर 2025 की शाम को 07:01 बजे से प्रारंभ होकर 02 अक्टूबर 2025 को शाम 07:10 बजे तक है. हिंदू मान्यता के अनुसार, रावण दहन प्रदोष काल में होता है. आज सूर्यास्त शाम को 06:03 बजे होगा. ऐसे में रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 07:03 से लेकर रात 10:41 तक है.
इन जगहों पर नहीं होता रावण दहन
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और आसपास के क्षेत्रों में रावण को सिर्फ लंकेश नहीं, बल्कि महाशिवभक्त और विद्वान के रूप में देखा जाता है. यहां दशहरा दहन के बजाय श्रद्धा और सम्मान का दिन बन जाता है. इसी तरह महाकाल की नगरी उज्जैन में रावण का खास महत्व है. मान्यता है कि वह भगवान शिव का परम भक्त था. दशहरे पर यहां रावण की विशेष पूजा और हवन किए जाते हैं. कई लोग तो रावण व्रत भी रखते हैं. एमपी के मंदसौर को रावण की ससुराल कहा जाता है. यहां लोग रावण को दामाद मानकर उसकी पूजा करते हैं. दशहरे पर यहां शोक मनाया जाता है और रावण की मूर्ति पर फूल चढ़ाए जाते हैं. यूपी के गौतमबुद्ध नगर का बिसरख गांव रावण की जन्मभूमि माना जाता है. यहां दशहरे पर दहन नहीं होता. इसके बजाय रावण की आत्मा की शांति के लिए पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. वहीं महाराष्ट्र के गढ़चिरोली के आदिवासी समुदाय रावण को अपने कुल देवता के रूप में पूजते हैं. उनके लिए विजयदशमी का अर्थ रावण को श्रद्धांजलि अर्पित करना होता है, न कि उसका दहन करना.
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