ग्लोबल गांधी वेबसाइट पर 'ग्लोबल गांधी एआई चैटबॉट' से महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर हमने कुछ बातचीत की, यह अनुभव ठीक वैसा ही रहा जैसा महात्मा गांधी का साक्षात्कार लेते हुए रहता. एआई ने जो जवाब दिए वह अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.
1- इस जन्मदिन पर आपको भारत कैसा लग रहा है?
प्रिय मित्र,
मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देने का अवसर प्राप्त हुआ. इस जन्मदिन पर, जब मैं भारत की ओर देखता हूं, मेरे मन में एक गहरा भाव उठता है. एक देश जो अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर में समृद्ध है, अब भी प्रगति और विकास की ओर अग्रसर है. भारत को देखने पर, मैं उन सपनों को याद करता हूं जो हमने स्वाधीनता के समय देखे थे, एक ऐसा देश, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान मिले. आज, भारत ने अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है और मैं गर्वित हूं कि हमारी युवा पीढ़ी इतनी समर्पित और उत्साही है. फिर भी, हमें असमानता, गरीबी और हिंसा के खिलाफ निरंतर संघर्ष करना है. याद रखना होगा कि सत्य और अहिंसा ही हमारे सच्चे मार्गदर्शक हैं. जब तक हम अपने दिलों में प्रेम और करुणा की भावना को बनाए रखेंगे, कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती. यदि हर व्यक्ति अपने आप में आत्म-शुद्धि करे और सच्ची सेवा का आदर्श अपनाए, तो भारत न केवल एक सशक्त राष्ट्र बनेगा, बल्कि दुनिया के लिए एक मिसाल भी स्थापित करेगा. तुम्हारे स्नेह और विश्वास के लिए, मैं हृदय से आभारी हूं. हमारा पथ सत्य की ओर है और मैं आश्वस्त हूं कि हम मिलकर एक महान भारत का निर्माण करेंगे.
स्नेहपूर्वक,
महात्मा गांधी
2- क्या आपको लगता है कि गांधी विचारों को आगे बढ़ाने वाली संस्थाओं ने बेहतर काम किया है!
यह बात खुशी की है कि मेरे विचारों को आगे बढ़ाने के लिए कई संस्थाएं और व्यक्ति प्रयासरत हैं. मेरा मानना है कि सच्ची सेवा और समर्पण से ही कोई भी विचार या आंदोलन जीवित रह सकता है. संस्थाओं का उद्देश्य केवल विचारों का प्रचार करना नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करना अधिक महत्वपूर्ण है. अहिंसा, सत्य और आत्मसंयम जैसे मूल्य केवल भाषणों में नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी प्रयुक्त होने चाहिए. यह सत्य है कि कई संस्थाएं महान कार्य कर रही हैं, लेकिन मैं हर व्यक्ति से यह भी अपेक्षा करता हूं कि वे स्वयं भी आत्मावलोकन करें और अपने भीतर इस परिवर्तन की ज्योति जलाएं. याद रखें, परिवर्तन केवल बाहरी प्रयासों से नहीं, बल्कि आंतरिक जागरूकता से होता है. जब हर व्यक्ति अपने भीतर के गांधी को पहचान लेगा, तब ही सच्चे अर्थों में हमारे विचार फलित होंगे.
3- क्या गांधी आज भी प्रासंगिक है?
जब हम प्रासंगिकता की बात करते हैं, तो हमें यह देखने की आवश्यकता होती है कि हमारे जीवन में कौन से मूल्यों और विचारों का स्थान है. अहिंसा, सत्य और न्याय के प्रति समर्पण, ये सभी मानवीय मूल्यों के ऐसे स्तम्भ हैं, जो हर युग और परिस्थिति में हमें सहारा देते हैं. आज भी दुनिया कई प्रकार के संघर्षों और समस्याओं से जूझ रही है. ऐसे समय में सहिष्णुता और अहिंसा का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. मैंने अपने जीवन में यही सीखा कि सच्चाई और अहिंसा के रास्ते पर चलने से ही दीर्घकालीन शांति और समाजिक सद्भावना प्राप्त की जा सकती है. इसलिए, अगर हम अपने जीवन में उन सिद्धान्तों को अपनाते हैं, जिन पर मैंने विश्वास किया और जिनके लिए मैंने अपनी पूरी निष्ठा समर्पित की, तो मेरे मानने वाले कह सकते हैं कि मैं आज भी प्रासंगिक हूं. हमेशा याद रखिए कि परिवर्तन की शुरुआत खुद से होती है. जब हम अपने अंदर के द्वन्द्व को शांति में बदलते हैं, तब हम बाहर की दुनिया में वास्तविक परिवर्तन ला पाते हैं.
4- हिन्दू-मुस्लिमों के बीच आज भी कई बार तनाव बन जाता है, कोई सुझाव?
प्रिय मित्र, यह अत्यंत हृदयविदारक है कि हमारे समाज में अभी भी साम्प्रदायिक तनाव की जड़ें बनी हुई हैं. मैंने अपने जीवन में अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर इसी प्रकार के मतभेदों को मिटाने की कोशिश की है. मेरा विश्वास है कि आपसी समझ, करुणा और संवाद से ही हम इस स्थिति का समाधान पा सकते हैं. हमें यह समझना होगा कि सभी धर्म अंततः प्रेम, करुणा और परस्पर सहयोग का संदेश देते हैं. यदि हम अपने दिलों में स्थान बनाकर दूसरे की बात सुनें और उनका सम्मान करें, तो बहुत सारी समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है. मैंने हमेशा कहा है कि 'अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है', इसका अर्थ है कि हम दूसरों के प्रति प्यार और सहिष्णुता का भाव रखें. अगर हम अपने ग़ुरूर और बैर को छोड़कर एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें, तो अवश्य ही हम अपने समाज को एक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा सकते हैं. संघर्ष के स्थान पर मिलकर चलना, एक-दूसरे को समझना और सबकी भलाई के लिए प्रयासरत रहना ही सच्ची धर्मनिष्ठा है.
5- राय, जो हर युवा को देना चाहेंगे!
प्रिय मित्र, युवाओं के लिए मेरा सविनय अनुरोध यह है कि वे अपने जीवन में सत्य और अहिंसा को अपनाएं. जीवन की राह में उत्सुकता और जिज्ञासा बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है. जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तो मैंने एक साधारण जीवन जीने और सत्य की खोज करने का निश्चय किया. यह पथ आसान नहीं था, लेकिन इसने मुझे वो शांति और संतोष दिया, जिसकी मुझे तलाश थी. जीवन में गरीब और पीड़ित लोगों की सेवा करने का प्रयत्न भी अति आवश्यक है. इसके साथ ही, अपने मन में दृढ़ संकल्प और धैर्य का विकास करें. यदि आप अपनी आत्मा की गहराइयों में विश्वास रखेंगे और अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनेंगे, तो आप सही दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे. आओ हम एक दूसरे का सहारा बनें और एक ऐसा समाज बनाएं, जहां प्रेम, करुणा और आपसी समझ की जीत हो.
सच्चे प्रेम एवं शुभेच्छाओं के साथ, महात्मा गांधी