
Navratri 2025 Day 9 Maa Siddhidatri: आश्विन मास की नवमी तिथि नवरात्रि का आखिरी दिन होता है और इस दिन मां भगवती के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. यदि आप पूरी नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा या व्रत न कर पाएं हों तो आपको इस दिन आप शक्ति की साधना करके माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री की पूजा कष्ट और बाधाओं को दूर करके सभी काम को सिद्ध करने वाली मानी गई है. आइए नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा, जप-तप, व्रत आदि की विधि, महत्व और उसके पुण्यफल के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
हिंदू मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें स एक हाथ में उन्होंने गदा और दूसरे हाथ में चक्र धारण किया हुआ है. उनके तीसरे हाथ में कमल का पुष्प और चौथे हाथ में शंख रहता है. मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के समान सिंह की सवारी करती हैं.

मां सिद्धिदात्री की पूजन विधि
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की साधना-आराधना करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद मां सिद्धिदात्री की साधना और व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर पूजा घर में मां सिद्धिदात्री का चित्र या मूर्ति रखकर उस पर पवित्र जल छिड़कना चाहिए. इसके बाद मां दुर्गा के नौवें स्वरूप की पुष्प, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिष्ठान, नारियल, चुनरी आदि अर्पित करने के बाद मां सिद्धिदात्री के मंत्र का जप करते हुए उनका ध्यान करना चाहिए.
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि. सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी.
आप चाहें तो माता के इस प्रार्थना मंत्र की जगह उनके जप मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः' का रुद्राक्ष की माला से जप कर सकते हैं. नवरात्रि की नवमी के दिन दुर्गासप्तशती का पाठ और 9 कन्याओं का पूजन भी अत्यंत ही शुभ और मंगलदायक माना गया है. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से हवन करना चाहिए.

मां सिद्धिदात्री को किस चीज का लगाएं भोग?
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी देवी-देवता की पूजा में भोग का बहुत ज्यादा महत्व होता है. ऐसे में नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धदात्री को उनका प्रिय भोग यानि हलवा, पूड़ी, चना आदि लगाना चाहिए. इसके अलावा आप खीर, नारियल, सफेद मिठाई या फिर मौसमी फल का भी भोग लगा सकते हैं.
मां सिद्धिदात्री की पूजा का पुण्यफल
हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के नौंवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करने पर साधक को 09 दिनी नवरात्रि की पूजा का पुण्यफल प्राप्त होता है. देवी कृपा से उसके सारे कार्य समय पर मनचाहे तरीके से सिद्ध होते हैं और पूरे साल उसके जीवन में सुख-सौभाग्य बना रहता है.
मां सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री का प्राकट्य देवी-देवताओं के तेज से तब हुआ था, जब देवतागण महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे थे. इसके बाद देवताओं के तेज से मां सिद्धिदात्री प्रकट हुईं. मान्यता यह भी है कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठिन साधना करके आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं. जिसके बाद उनका आधा शरीर देवी का हो गया था और उन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा गया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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