बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच बीते कुछ समय से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ताजा मामला विधानसभा का है, जहां दोनों के बीच आपसी तनातनी खुलकर सामने आ गई. दरअसल, बिहार विधानसभा में मंगलवार को “ उत्कृष्ट विधान सभा और उत्कृष्ट विधायक के स्वरूप निर्धारण" को लेकर एक बहस आयोजित की गई. उम्मीद जताई जा रही थी इस बहस में बीजेपी और जेडीयू के विधायक और मंत्री बढ़चढ़कर हिस्सा लेंगे. लेकिन विधानसभा में हुआ इसके उलट. बहस के दौरान जेडीयू के अधिकांश विधायक और कई मंत्री सदन से गायब दिखे. यहां तक की जेडीयू के जो मंत्री सदन में बहस के दौरान आ भी गए थे वो भी थोड़ी देर बाद सदन से निकल गए. सदन में जहां एक तरफ बहस चल रही थी वहीं दूसरी तरफ जेडीयू के तमाम मंत्री और विधायक संसदीय कार्य मंत्री के चेंबर में बैठे मिले. सदन में सिर्फ बीजेपी के मंत्री और विधायकों की उपस्थिति को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को बाद में इस पूरी बहस को ही स्थगित करना पड़ा.
"एक दूसरे पर बयानबाज़ी से माहौल ख़राब हो रहा है", बिहार NDA में आपसी गतिरोध पर बोले सुशील मोदी
बता दें कि बिहार सरकार के घटक दलों के बीच आपसी खींचतान कोई नई बात नहीं है. कुछ दिन पहले ही एनडीए दलों के बीच आपसी बयानबाजी पर राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कड़ा एतराज जताया था. उन्होंने रविवार को कहा था कि जिस तरह से बीते कुछ दिनों में बीजेपी और जेडीयू के नेता अग्निपथ, कानून-व्यवस्था, जातिगत जनगणना और शिक्षा व्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर आपस में उलझते देखे गए हैं, इससे राज्य में माहौल खराब हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि RJD-कांग्रेस से लड़ने के बजाय एनडीए के लोग आपस में भिड़े हुए हैं. उन्होंने कहा था कि किसी एक विभाग की सफलता या विफलता के लिए केवल उस विभाग का मंत्री ही जिम्मेदार नहीं होता है बल्कि यह जिम्मेदारी पूरी सरकार की होती है.
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हालांकि, इस दौरान सुशील मोदी ने इस दौरान बिहार सरकार के काम की भी तारीफ की. उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार बहुत बेहतर काम कर रही है. हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसी कोई बयानबाजी ना करें जिससे की विपक्ष में बैठे RJD-कांग्रेस को मजबूत होने का मौका मिले. बता दें कि बिहार सरकार में शामिल बीजेपी और जेडीयू के बीच आपसी छींटाकशी कोई नई बात नहीं है. कुछ दिन पहले ही बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा था. उन्होंने इस पोस्ट में राज्य में केंद्रीय विद्यालय को मिलने वाली जमीन का जिक्र किया था. जायसवाल ने लिखा था कि बिहार के विभिन्न जिलों में केंद्रीय विद्यालय को जमीन मिल जाए इसके लिए नेता जी ने आंदोलन किया. शिक्षा मे सुधार हो, इसके लिए अपने सारे लोगों से हर जिले में धरना एवं प्रदर्शन कराया और अंततः नेताजी स्वयं सफल हो गए. हालांकि जासवाल ने इस पोस्ट में कहीं भी उपेंद्र कुशवाहा का जिक्र नहीं किया था.