
अब पायलट बनने के लिए उम्मीदवारों को कंप्यूटर नंबर के लिए मैन्युअल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा, बल्कि नंबर अपने आप जनरेट हो जाएगा. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ( DGCA) नें इसके लिए ऑटो जेनरेशन सिस्टम शुरू किया है. इससे मैन्युअल दस्तावेज जमा करने और जांच की जरूरत पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.
सिस्टम कैसे करेगा काम?
"परीक्षा" पोर्टल पर जब उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन करेंगे तो उसकी दसवीं और बारहवीं की मार्कशीट डिजिलॉकर (DigiLocker) के जरिये सत्यापित होगी और अगर वेरिफिकेशन सफल रहा तो फिर कंप्यूटर नंबर अपने आप मिल जाएगा. यह बदलाव 16 अक्टूबर से लागू कर दिया गया है.
ऐसे लागू होगा बदलाव
डीजीसीए से मिली जानकारी के अनुसार, शुरुआत में यह सुविधा सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को मिलेगी जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से पास की है और जिनके दस्तावेज डिजिलॉकर में हैं. हालांकि, आने वाले समय यह सुविधा अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों के छात्रों को भी दी जाएगी.
पारदर्शी होगी पूरी प्रक्रिया
डीजीसीए से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारा मकसद पूरी प्रक्रिया को डिजिटल करना है. इससे आवेदन आसानी के साथ तेजी से होगा और समय की भी बचत होगी. इसका लाभ छात्रों, पायलटों और अन्य स्टेकहोल्डर्स को मिलेगा. साथ ही पूरी प्रकिया पारदर्शी भी हो जाएगी."
दरअसल, यह पूरी कवायद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू के विजन का हिस्सा है, जिसमें डीजीसीए और बीसीएएस ऑफिस की सभी प्रक्रियाओं को eGCA और डिजिटल प्लेटफॉर्म से ऑटोमेट किया जा रहा है.
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