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This Article is From Jul 28, 2023

"डेरेक ओ'ब्रायन के व्यवहार ने सभापति को आहत किया" : राज्यसभा में हुई बहस पर पीयूष गोयल

पीयूष गोयल ने कहा कि 267 पर चर्चा बहुत रेयर हालात में होती है. हमने जब चर्चा के लिए ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी, तो उस समय ही हम मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हो गए थे.

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"डेरेक ओ'ब्रायन के व्यवहार ने सभापति को आहत किया" : राज्यसभा में हुई बहस पर पीयूष गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल.
नई दिल्ली:

मणिपुर में हिंसा को लेकर एक सप्ताह से लगातार नारेबाजी और कार्यवाही में व्यवधान के बाद, शुक्रवार को राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और टीएमसी के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन के बीच तीखी बहस हो गई. केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि एक सदस्य ने अपने व्यवहार से माननीय अध्यक्ष को आहत किया है. इस प्रकार का आचरण वो पहले भी कई बार कर चुके हैं. उनको कई बार रोका गया, उस व्यवहार के कारण आज की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित की गई.

पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इस घटना के बाद सभापति ने अपने चेंबर में सभी बड़े दलों के नेताओं को बुलाया. इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और आरजेडी सहित कई दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा की गई. अध्यक्ष जी ने इस बात पर जोर दिया कि संसद अच्छे तरीके से चलना चाहिए. डायलॉग और डिबेट होने चाहिए. यह गंभीर विषयों पर मंथन करने का फोरम है.

सदन सुचारू रूप से चले- पीयूष गोयल
उन्होंने कहा कि अलग-अलग दलों ने भी अपनी बातें रखीं. अध्यक्ष ने गंभीरता से सारी बातें सुनने के बाद सभी से अनुरोध किया कि यह फैसला सब लोग मिलकर लें, कि कैसे सदन सुचारू रूप से चले. इतिहास की कई घटनाओं से ऊपर उठकर संविधान में जो प्रावधान लिखे हुए हैं, उसके अंतर्गत सदन की कार्यवाही चलाई जाए. जब एक गंभीर विषय प्रश्नकाल में उठाए जाते हैं तो बहस होती है, महत्वपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं. सब एक डेकोरम और अनुशासन के तहत होता है.

मणिपुर के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बंगाल पर भी हो चर्चा- गोयल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश और दुनिया देख रही है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में किस तरह चर्चा होती है. आज दोनों सदनों में कामकाज अच्छे तरीके से नहीं चल पा रहे हैं. भविष्य के लिए कैसा उदाहरण छोड़कर जाते हैं, यह हम सब के लिए गंभीरता की बात है. उन्होंने कहा कि नियम 176 के तहत मणिपुर पर चर्चा के लिए पहले ही सत्ता पक्ष तैयार है. साथ ही कुछ और सदस्यों ने राजस्थान की गंभीर स्थिति की भी बात की है. महिलाओं और बेटियों के साथ दुर्व्यवहार की बात है, उस विषय पर भी चर्चा के लिए कई नोटिस आए हैं . छत्तीसगढ़ में जो घटनाएं हुए हैं, महिलाओं के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ है. बंगाल में महिलाओं के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ है. अलग-अलग विषय है, इस पर चर्चा हो, सदन सुचारू रूप से चले.

ये भी पढ़ें: "नाटकीयता में लगे रहना...": संसद में जगदीप धनखड़, डेरेक ओ'ब्रायन के बीच हुई बहस

अनुरोध है कि सभी लोग एक-दूसरे की बात सुनें- पीयूष गोयल
उन्होंने कहा कि कई सदस्य सदन में मौजूद होकर भी प्रश्नकाल के दौरान अपना सवाल नहीं उठा पा रहे हैं यह लोकतंत्र का अपमान है. अध्यक्ष जी ने दलों के नेताओं को कहा है कि इस पर गंभीरता से विचार करें क्या प्रश्नकाल को रोज इस तरह स्थगित किया जाए. इसी श्रेणी में दोनों पक्ष एक दूसरे की बात को सुनें. उन्होंने अनुरोध किया है कि सभी लोग एक-दूसरे की बात सुनें, हम चाहते हैं कि सदन ठीक से चले. हमारे साथ चर्चा करें, जितनी चर्चा करना चाहें, वह करें. हम सब मिल बैठकर इस पर रास्ता निकालें, बजाय इसके कि कोई भी व्यक्ति यह कहे कि वह जो कह रहा है वही सही है.

'बहुत रेयर हालात में होती है 267 पर चर्चा'
पीयूष गोयल ने कहा कि 267 पर चर्चा बहुत रेयर हालात में होती है. हमने जब चर्चा के लिए ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी, तो उस समय ही हम मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हो गए थे. उसके बाद यह बोला कि हमने यह चर्चा तभी करेंगे जब नियम 267 के तहत हो. यह तभी होता है, जब कोई और माध्यम चर्चा का ना हो. जब सरकार शुरू से ही चर्चा के लिए तैयार है तो उसके बाद चर्चा में हिस्सा ना लेना, यह रहस्य की बात है, देश की जनता देख रही है. गंभीर और संवेदनशील विषय पर कैसे राजनीति करने की कोशिश हो रही है.

'अविश्वास प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं'
उन्होंने कहा कि किसी का माइक कभी भी बंद नहीं किया जाता है, जब किसी को बोलने के लिए कहा जाता है तो माइक ऑन होता है. खरगे जी की बात हर वक्त गंभीरता से सुनी गई है. अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है उस पर अध्यक्ष महोदय समय तय करेंगे, सरकार तैयार है जो भी समय देंगे. उस पर माननीय प्रधानमंत्री जी और सभी सदस्य जो इस विषय पर भाग लेंगे वह सदन में होंगे. सब जानते हैं कि सरकार के साथ 375 से अधिक माननीय सदस्य सरकार के पक्ष में हैं. इसका कोई औचित्य नहीं है. अगर सरकार को हराने के लिए होता तो समझ में आता. जनता के आशीर्वाद से हम जनहित में काम करते हैं.

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