दिल्लीवालों पर बिजली के मंहगी होने की तलवार फिर से लटकने लगी है। फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट कॉस्ट के नाम पर घरेलु उपभोक्ताओं पर 6 फीसदी और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 8 से 10 फीसदी तक मंहगी बिजली का बोझ डाला जा सकता है।
हालांकि डीईआरसी का कहना है कि बिजली कंपनी के साथ उपभोक्ताओं का पक्ष जानकर ही कोई फैसला लिया जाएगा। लेकिन डीईआरसी का ना तो ये बयान नया है और ना ही जनसुनवाई की ये रस्म। सवाल ये उठता है कि जब बिजली कंपनियां लगातार ऑडिट कराने से भाग रही हों, तब ये कैसे पता चलेगा कि इन बिजली कंपनियों की माली हालत बिजली मंहगी कराने लायक है या सस्ती।
ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं पर मंहगाई की मार क्यों?
हम बिजली कंपनियों के ऑडिट पर ना जाकर आज के हालात की पड़ताल करें तो पता चलता है कि जब बिजली कंपनियों ने दिल्ली में बिजली वितरण की कमान संभाली थी, तब उनका वितरण का घाटा करीब 35 से 40 फीसदी था जो अब घटकर करीब 15 फीसदी पर आ गया है। एक मोटे आंकड़े के मुताबिक एक फीसदी बिजली वितरण का घाटा कम होने से करीब 100 करोड़ का फायदा होता है। लेकिन इसके बावजूद बिजली कंपनियों ने इस साल सिर्फ 1 फीसदी वितरण घाटा कम करने का लक्ष्य रखा है।
एक पड़ताल में पता चलता है कि दिल्ली में कई ऐसे इलाके हैं जहां बिजली की चोरी 70 से 86 फीसदी तक है। इनमें सबसे आगे सीलम पुर की जनता कॉलोनी में 86 फीसदी, वेलकम में 81 फीसदी, शास्त्री पार्क में 84 फीसदी, शीशमहल में 80 फीसदी, मोहल्ला कब्रिस्तान में 78 फीसदी, गाजी पुर में 83 फीसदी जैसे कई इलाके हैं, जहां 50 से 86 फीसदी तक बिजली की चोरी हो रही है।
2009 से पहले तक बिजली कंपनियां सीआईएसएफ जैसी पैरामिलिट्री फोर्स के जरिए बिजली चोरी रोक रही थी। लेकिन 2009 में पैरामिलिट्री फोर्स की मदद लेना बिजली कंपनियों ने बंद कर दिया, जिसका नतीजा ये निकला कि बिजली चोरी पर नकेल धीरे धीरे कम होती गई। अब इन चोरियों की सजा मंहगी बिजली करके ईमानदार उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है।
हालांकि मंहगी बिजली के पीछे कोयले की बढ़ती कीमत और मंहगी बिजली खरीदने का हवाला बिजली कंपनियां दे रही है। लेकिन पिछले दस साल से दिल्ली में बिजली के दाम 300 गुना तक बढ़े है उसके बावजूद बिजली कंपनियों का घाटा पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि इस बार बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने का कोई प्रत्यक्ष प्रस्ताव डीईआरसी को नहीं भेजा है, लेकिन उसके बावजूद बिजली उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज और फ्यूल एडजस्टमेंट कॉस्ट के नाम पर बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
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