जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून (Population Control law) बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को अन्य लंबित याचिका के साथ टैग किया है. याचिका स्वामी जितेंद्रनंद सरस्वती ने दाखिल की है. इससे पहले 8 अगस्त को धर्मगुरु देवकी नंदन ठाकुर की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मुख्य मामले के साथ जोड़ दिया था.
अपनी याचिका में देवकी नंदन ठाकुर ने कहा है कि लोगों को साफ हवा, पानी, खाना, स्वास्थ्य और रोजगार हासिल करने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ऐसा क़ानून वर्तमान परिस्थितियों की आवश्यकता है. याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई ठोस और कारगर कानून न होने की सूरत में कोर्ट विधि आयोग को निर्देश दे कि दूसरे विकसित देशों में जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों को देखने के बाद भारत के लिए भी वह उचित कानून बनाने की दिशा में अपने सुझाव और सिफारिश दे.
इससे पहले 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था. भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि आबादी का विस्फोट बम से भी ज्यादा घातक है. इस बम के विस्फोट की वजह से शिक्षित,समृद्ध,स्वस्थ और सुगठित मजबूत भारत बनाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं हो सकेगी.
अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में मांग की है कि केंद्र सरकार आबादी नियंत्रण के उपायों को देश में लागू करे. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को सरकारी नौकरी, सब्सिडी और सहायता पाने के लिए दो बच्चों की नीति को लागू करना चाहिए.
उपाध्याय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने दो वर्ष की मेहनत के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आज तक लागू नहीं किया गया है.
बीजेपी नेता ने कहा कि अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, कई बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है. कई नए कानून बनाए गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि “हम दो-हमारे दो” कानून से देश की 50 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
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