दिल्ली में शुक्रवार को हुई मूसलाधार बारिश के बाद IGI एयरपोर्ट हादसे (Delhi Airport Accident) में सिर्फ एक शख्स नहीं, बल्कि न जाने कितने रिश्तों की मौत हो गई. एक झटके में मानो पूरे परिवार की जिंदगी बदल गई. जब उनको पता चला कि इस हादसे में रमेश कुमार की मौत (IGI Airport Cab Driver Death) हो गई है, क्यों कि वह किसी के पिता और किसी के पति भी थे. आंखों में बसे न जाने कितने सपनों को पूरी करने की हसरत लेकर वह हिम्मत की उड़ान भर रहे था, तब जाकर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमा पाते थे. लेकिन मॉनसून की पहली बारिश जो अमूमन खुशियां लेकर आती है, रमेश कुमार के परिवार पर कहर बनकर टूट पड़ी.
उजड़ गईं कैव ड्राइवर के परिवार की खुशियां
बेटी की शादी, बेटे का फ्यूचर और छोटी बेटी के बड़े सपनों के साथ ही गाड़ी की किश्तें, ये वो जिम्मदारियां हैं, जो रमेश कुमार के कंधों पर थीं. इन्हीं को पूरा करने की उम्मीद लिए शायद वह IGI एयरपोर्ट पहुंचे थे. वह फ्लाइट लैंड करने के बाद किसी पसेंजर का इंतजार कर रहे थे. क्यों कि इस राइड से होने वाली कमाई से रमेश के परिवार की खुशियां जुड़ी थीं. रमेश के परिवार में उनके दो बेटे रविंद्र आशीष और दो बेटियां रोशनी और भावना हैं. पिता की मौत से पूरा परिवार सदमे में है. जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ गई है. रमेश के बड़े बेटे रवींद्र कुमार ने बताया कि रात की शिफ्ट में ड्यूटी खत्म कर शुक्रवार सुबह वह सो रहे थे कि इस दौरान इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पुलिस थाने से आए फोन कॉल ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया.
पिता की मौत से टूट गया परिवार
रवींद्र ने पीटीआई भाषा को बताया, "मैं सो रहा था जब मुझे पुलिस थाने से फोन कॉल आया और मुझे तुरंत दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 पर आने को कहा गया. मुझे और मेरे परिवार के लोगों को कुछ भी पता नहीं था. जब मैं वहां पहुंचा तो पता चला कि टर्मिनल की छत का एक हिस्सा मेरे पिता की कार पर गिरने से उनकी मौत हो गई है." उन्होंने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पिता को रहे नहीं, कैसे होगी बेटी की शादी
टीओआई के मुताबिक, मूल रूप से बुंदेलखंड के रहने वाले रमेश कुमार रोहिणी में एक किराए के मकान में अपने परिवार के साथ रहते थे. बेटे रविंद्र ने बताया कि उन्होंने सुबह 3 बजे पिता से बात की थी. उन्होंने बताया था कि फरीदाबाद से वह एक पेसेंजर को एयरपोर्ट ले जा रहे थे. शिफ्ट खत्म कर वह घर वापस आने वाले थे. बेटे ने बताया कि पिता रमेश कुमार पिछले चार साल से शाम 5 बजे से सुबह की शिफ्ट में कैब चलाते थे. इससे पहले वह अपना वाहन चलाते थे. रविंद्र ने कहा कि बहन की शादी की वजह से उन्होंने भी कई शिफ्ट में काम करना शुरू कर दिया था.
कौन चलाएगा घर, कौन चुकाएगा किश्तें
आंखों में आंसू और भरे गले से रविंदर ने बताया कि दो महीने पहले, उन्होंने एक सेकेंड-हैंड कार खरीदी थी. वह अभी उसकी किश्तें चुका रहे हैं. वह नहीं जानते कि पिता के न रहने पर वह पैसा कैसे चुका पाएंगे. साथ ही रविंद्र ने बताया कि उनकी छोटी बहन भावना पिता के बहुत करीब थी. उसे घटना के बारे में तुरंत कुछ भी नहीं बताया था. भावना ने हाल ही में 11वीं पास की है. पिता चाहते थे कि उनकी बेटी कॉन्पटिशन की तैयारी करे. लेकिन इस घटना ने उनकी जिंदगी ही नहीं बदली बल्कि उनके परिवार को तोड़ दिया है.
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